शतरंज, एक खेल है जिसमे तीव्र मानसिक बुद्धि, उच्चस्तर की एकाग्रता के साथ स्मृति की आवश्यकता होती है और इस खेल में भारतीयों ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर हमेशा सराहनीय प्रदर्शन किया है। जब बात शतरंज की हो तो कैसे कोई भी विश्वनाथन आनंद का नाम भूल सकता है। एक ऐसे युग में जब सोवियत संघ के ग्रांडमास्टरस का शासन हुआ करता था ऐसे में उभरे हमारे अपने शतरंज के जादूगर चेन्नई के विश्वनाथन आनंद। आनंद ने 2000 में वर्ल्ड शतरंज चैंपियनशिप जीती और फिर 2007, 2008, 2010,2012 में विश्व चैंपियन रहे। महिलाओं में कोनेरू हम्पी ने भारत की नंबर एक महिला खिलाड़ी के रूप में लम्बे समय तक पहचान बनाई। तनिया सचदेव और द्रोणवल्ली हरिका ने भी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में भारत के लिए पदक जीतें हैं।
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