नॉर्मन प्रिचर्ड 1900 ओलिंपिक की 200 मीटर और 200 मीटर हर्डल में सिल्वर पदक जीतकर भारत के लिए ओलिंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने थे। मिल्खा सिंह ने 60 के दशक में, 1958 एशियाई खेलों में 200 मीटर और 400 मीटर में भारत के लिए खिताब जीते थे। 1958 राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने 400 मीटर स्प्रिंट स्पर्धा जीती, फ्लाइंग सिख नाम से मशहूर 400 मीटर में चौथे स्थान पर थे और 1960 के रोम ओलंपिक में कांस्य से बस थोड़े से चूक गए थे। हाल के वर्षों में सरस्वती साहा, रचितिता मिस्त्री और अनिल कुमार ने एशियाई स्तर पर स्प्रिंट आयोजनों में अच्छा प्रदर्शन किया है। श्रीराम सिंह, शिवथ सिंह, गोपाल सैनी और बहादुर प्रसाद ने मध्य और लंबी दूरी की एशियाई ट्रैक और फील्ड मीटिंग की दौड़ में अपना दबदबा बनाये रखा। लम्बी कूद के खिलाडी टी सी योनाहन ने 1970 के तेहरान एशियाई खेलों की लम्बी कूद प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। फील्ड प्रतियोगिताओं में प्रवीण कुमार, शक्ति सिंह, बहादुर सिंह, सीमा अंटील, नीलम जे सिंह, कृष्ण पुनिया और हरवंत कौर ने एशियन एथलेटिक मीट्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया। पीटी ऊषा 80 के दशक में भारतीय एथलेटिक्स की 'गोल्डन गर्ल' बन गई। "पायोली एक्सप्रेस" नाम से प्रसिद्ध पी टी उषा ने एशियाई स्तर पर एथलेटिक सम्मेलनों मे अपनी दौड़ से देश के गौरव की तरफ कदम बढ़ाये। पी टी उषा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन लॉस एंजिल्स में 1984 के ओलंपिक में आया था जब वह 400 मीटर बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रही और सेकंड के सौवें भाग से कांस्य पदक जीतते जीतते रह गयी। 80 के दशक में, शाइनी विल्सन और एम डी वाल्साम्मा ने एशियाई ट्रैक और फील्ड स्पर्धाओं में अपना लोहा मनवाया। अंजू बॉबी जॉर्ज 2003 में लंबी कूद की विश्व एथलेटिक चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।