मुक्केबाजी की बात करे भारतीय मुक्केबाज एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में एक अलग ही रुतबा रखते है। विजेंदर सिंह एक बेहतरीन मुक्केबाज़ के तौर पर उभरे जब उन्होंने 2008 बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था। फिर 2009 में एआईबीए की विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता और एशियाई और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पदक जीते हैं। वहीं विकास कृष्णन यादव ने भी 2011 विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। एम सी मैरीकोम भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला मुक्केबाज रहीं है। ओलंपिक कांस्य पदक विजेता (2012 लंदन ओलंपिक) और पांच बार की विश्व चैंपियन (2001, 2005, 2006, 2008, 2010), मेरी कॉम अपनी पीढ़ी की एक प्रभावशाली मुक्केबाज़ रहीं हैं। अन्य मुक्केबाजों में, एल सरिता देवी, सरजुबाला देवी और कविता चहल ने अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी मुकाबले में पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया है। पिछले दशक में हमारे देश ने अखिल कुमार, सोम बहादुर पुन, नानाओ सिंह, सुरनजय सिंह, दिनेश कुमार, जितेंदर कुमार, मनोज कुमार, जय भगवान, वी जॉनसन और परमजीत सामोटा के रूप ऐसे कुशल मुक्केबाज़ों पेश किया है, जिन्होंने एशियाई और राष्ट्रमण्डल खेलों में देश का गर्व से प्रतिनिधित्व करते हुए पदक जीतें है।