कुश्ती लंबे समय से भारतीय इतिहास का एक हिस्सा रही है। कुश्ती की पहलवानी शैली और प्रशिक्षण की अखाड़ा प्रणाली भारतीय कुश्ती का पर्याय रही है। गामा पहलवान जैसी प्रसिद्ध पहलवानों को 'रुस्तमे ज़माना ' जैसे खिताबों मिले। साथ ही, चंदगी राम, हरिश्चंद्र बिरजदार और मारुति माने जैसे प्रतिष्ठित पहलवानों ने प्रतिष्ठित हिंद केसरी खिताब जीता। हम में से कई इस बात से अनजान हैं कि खाशाबा झादव ने 1952 हेलसिंकी में हुए ओलंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतकर भारत को गौरवान्वित किया था। 2010 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतकर सुशील कुमार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक कुशल पहलवान के रूप में उभरे हैं। कुमार ने ओलंपिक में लगातार पदक जीतकर (2008 में कांस्य और 2012 में रजत) भारतीय कुश्ती इतिहास में अपना नाम बनाया है। 2012 में लंदन ओलंपिक कांस्य पदक विजेता योगेश्वर दत्त ग्रीको-रोमन श्रेणी में अग्रणी पहलवानों में से एक हैं। इस बीच रियासत कुमार, बजरंग कुमार, अमित कुमार और संदीप तुलसी यादव जैसे अनुभवी पहलवानों ने फिला कुश्ती चैंपियनशिप के हाल के संस्करणों में पदक जीते। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय महिलाएं भी पुरषों से कम नहीं रही हैं। अलका तोमर, गीताका झाकर, बबिता कुमारी और गीता फाोगट ने एशियाई और राष्ट्रमंडल में पदकों की झोली भर देश को गौरवान्वित किया है।