Know about Paris Paralympics Silver Medalist Sachin Khilari: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत का शानदार प्रदर्शन लगातार जारी है। भारत अभी तक 3 स्वर्ण, 8 रजत और 10 कांस्य सहित कुल 21 पदक के साथ अंक तालिका 19वें स्थान पर है। बुधवार (4 सितम्बर) को भारत के लिए पहला मेडल सचिन खिलारी ने जीता है। सचिन ने पुरुषों की एफ46 शॉट पुट प्रतियोगिता में 16.32 मीटर थ्रो के साथ मेडल अपने नाम किया। दूसरे प्रयास में किए गए अपने इस शानदार थ्रो के साथ सचिन ने अपना पुराना एशियाई रिकॉर्ड (16.30 मीटर) तोड़ते हुए नया रिकॉर्ड कायम कर दिया है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं सचिन खिलारी के जीवन से जुड़े कुछ अनसुने पहलुओं के बारे में।
सचिन का पूरा नाम सचिन सरजेराव खिलारी है। महाराष्ट्र के सांगली जिले के कारागानी गांव में एक किसान परिवार में जन्में सचिन को स्कूल के दौरान साइकिल से हुए एक हादसे में चोट लग गई थी और उसी हादसे ने उनके एक हाथ को पूरी तरह अक्षम कर दिया। हालांकि, सचिन ने इच्छाशक्ति की बदौलत अपनी बाधा को अपनी सबसे बड़ी ताकत बनाकर दिखाया है। इसी दौरान कम उम्र में सचिन की मां का निधन हो गया। समय के साथ बढ़ते हुए सचिन को साल 2015 में पैरा खेलों के बारे में जानकारी हासिल हुई। इसके बाद उन्होंने 2017 राष्ट्रीय खेलों में प्रतिभाग करते हुए स्वर्ण पदक जीता। इस शानदार प्रदर्शन के बाद, सचिन के पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए 21वां पदक जीतने तक के सफर में उन्हें कोच सत्यनारायण का बखूबी साथ मिला। उनकी मदद और प्रोत्साहन की बदौलत ही सचिन ने साल 2019 में खेल को अपना पूर्णकालिक पेशा बना लिया।
मैकेनिकल इंजीनियर हैं सचिन खिलारी
स्कूल में हुए हादसे के बाद सचिन ने हिम्मत नहीं हारी और पूरी लगन के साथ अपनी पढ़ाई जारी रखी। स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद सचिन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। खेल के अलावा सचिन कई संस्थानों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन कर रहे हैं, साथ ही महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग और यूपीएससी की तैयारी कर रहे छात्रों को उनकी पढ़ाई में सहायता भी करते हैं। सचिन का जीवन बेहद संघर्ष से भरा रहा है। कई सर्जरी होने के बावजूद उनके हाथ को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सका। सचिन के पिता ने अकेले इस मुश्किल वक्त में उनका साथ निभाते हुए अपने दोनों बेटों की जिम्मेदारी उठाई और सचिन को इस काबिल बनाया कि उसने आज भारत का नाम गर्व से ऊंचा कर दिया।
जानें क्या है Paris Paralympics में एफ46 कैटेगरी
पैरालंपिक प्रतियोगिता में शारीरिक रूप से अक्षम खिलाड़ी अपनी कैटेगरी के मुताबिक विभिन्न श्रेणियों में प्रतिभाग करते हैं। सचिन खिलारी ने एफ46 श्रेणी में शॉट पुट प्रतियोगिता में रजत पदक जीता है। एफ46 कैटेगरी मुख्यतः उन खिलाड़ियों के लिए वर्गीकृत है, जिनके एक पूरी बांह ना हो तथा हाथ में निष्क्रिय गति या हाथ की मांसपेशियों में ताकत की कमी हो।