कॉमनवेल्थ खेलों में टेबल टेनिस एक ऐसा इवेंट है जिसमें सालों-साल सिंगापुर ने राज किया, लेकिन पिछली बार भारत के टेबल टेनिस दल ने सिंगापुर को अपने प्रदर्शन से हिला कर रख दिया और भारत ने टेबल टेनिस में सबसे ज्यादा पदक जीते। ऐसे में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में इस बार भी भारत की अपने टेबल टेनिस खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद बंधी हुई है। शरत कमल, मनिका बत्रा भारतीय टेबल टेनिस टीम की अगुवाई करेंगे।
इस बार भारतीय दल में कुल 8 खिलाड़ी शामिल हैं। पुरुष टीम में शरत कमल, एस ज्ञानशेखरन, सनिल शेट्टी और हरमीत देसाई हैं जो पिछली बार भी गोल्ड कोस्ट खेलों का हिस्सा थे। जबकि महिलाओं में मनिका बत्रा ने ही पिछले खेलों में शिरकत की थी, वहीं श्रीजा अकुला, दिया चिताले, और रीत रिश्या का ये पहला कॉमनवेल्थ होगा। श्रीजा अकूला मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन हैं।
इनके अलावा पैरा टेबल टेनिस में टोक्यो पैरालंपिक सिल्वर मेडलिस्ट भाविना पटेल के साथ 3 अन्य पैरा खिलाड़ी कॉमनवेल्थ खेलों में भाग लेंगे।
कॉमनवेल्थ खेलों में पहली बार साल 2002 में शामिल किया गया और यह एक वैकल्पिक खेल है जिसे आयोजन करने वाला देश चाहे तो हटा भी सकता है। लेकिन 2002 से अब तक लगातार टेबल टेनिस के खेल ने अपनी जगह इन खेलों में बनाए रखी है। सिंगापुर ने टेबल टेनिस के खेल में दबदबा बनाए रखा है और सबसे ज्यादा 22 गोल्ड जीते हैं। लेकिन भारत ने 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में सिंगापुर का वर्चस्व तोड़ा और मेडल जीतने के नाम पर टॉप रहा।
शरत अंचत कमल ने साल 2006 के मेलबर्न खेलों में पुरुष सिंगल्स का गोल्ड जीत इतिहास रच दिया और कॉमनवेल्थ खेलों में टेबल टेनिस का तमगा जीतने वाले पहले भारतीय बने। इसी साल कमल के खेल की बदौलत भारत ने पुरुष टीम इवेंट का भी गोल्ड जीता।
2014 में टेबल टेनिस में सबसे निराशानजक प्रदर्शन सामने आया और भारत को सिर्फ 1 सिल्वर मिला। लेकिन 2018 में पहली बार भारत ने टेबल टेनिस के हर ईवेंट में मेडल जीता और सिंगापुर की बादशाहत को खत्म भी किया। पिछली बार मनिका बत्रा ने महिला सिंगल्स का गोल्ड जीता, तो शरत अंचत कमल ने पुरुष सिंगल्स का ब्रॉन्ज अपने नाम किया। सबसे बड़ा कारनामा हुआ जब भारत ने महिला और पुरुष टीम, दोनों का गोल्ड मेडल जीता। इस बार भी टीम पूरे जोश से खेलने को तैयार है। पिछले साल एशियाई चैंपियनशिप में भारत ने पहली बार पदक जीते, जिसमें 3 ब्रॉन्ज शामिल थे। ऐसे में बर्मिंघम में भारतीय खिलाड़ियों से पदक की आस और बढ़ गई है। लेकिन 2018 के प्रदर्शन को दोहराना टीम के लिए खासा मुश्किल जरूर रहेगा।