किसी भी टेनिस खिलाड़ी का सपना होता है कि वो अपने करियर में खेल काई बड़ा खिताब अपने नाम जरूर करे। फिर चाहे वो ग्रैंड स्लैम हो, ओलंपिक गोल्ड हो या फिर एटीपी या डब्लूटीए का कोई टाइटल हो। टेनिस के इतिहास में सैकड़ों खिलाड़ी ऐसे कई खिताब अपने नाम करते आए हैं। किसी ने कई ग्रैंड स्लैम गीते, तो कईयों ने ओलंपिक में गोल्ड मैड्ल्स अपने नाम किए , तो कुछ ने देनों जीते। हालांकि इतिहास में कुछ खिलाड़ी ऐसे भी रहे हैं, जिन्होंने ओलंपिक में स्वर्ण पदक तो अपने नाम किया है, लेकिन करियर में एक भी ग्रैंड स्लैम खिताब पर कब्जा नहीं कर पाए। आइए बात करते हैं ऐसे ही कुछ टेनिस प्लेयर्स की:
#5 Marc Rosset
रोजर फेडरर और स्टान वावरिंका जैसे बड़े सितारों से पहले, स्विजर्लैंड टेनिस के इतिहास का सबसे बड़ा नाम था मार्क रोसेट। रोसेट ने अपने करियर में 1992 का फ्रैंच ओपन डब्ल्स खिताब अपने नाम किया। उन्होंने ये उपलब्धि अपने साथी 'जेकोब' के साथ हासिल की। इसी साल उन्होंने सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए बार्सिलोना ओलंपिक में सिंगल श्रेणी में गोल्ड मैडल अपने नाम किया। ये मार्क के करियर की सबसे बड़ी कामयाबी रही। हालांकि टेनिस के शानदार खिलाड़ी होने के बावजूद वो कभी कोई ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं जीत सके। उनके करियर में सबसे अच्छी एटीपी रैंकिंग रही 9। 1996 में फ्रैंच ओपन के दौरान, रोसेट किसी ग्रैंड स्लैम खिताब के सबसे करीब पहुंचे थे। इस प्रतियेगिता में वो सेमिफाइनल तक पहुंचे लेकिन फिर टूर्नामेंट के उपविजेता मैइकल स्टिच से हारकर बाहर हो गए। 1999 में क्वॉर्टर फाइनल तक जाना, रोसेट की ऑस्ट्रेलियन ओपन की सबसे अच्छी परफॉर्मेंस रही। सन 2000 और 1995 में वो क्रमानुसार, विंबलडन और US ओपन के चौथे राउंड तक पहुंच सके थे। #4 Nicholas Massu
चिली का ये टेनिस खिलाड़ी इस खेल के बड़े नामों में भले ही न गिना जाता हो, लेकिन निकोलस मासू अपने एक कारनामे के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं। 2004 के एथेंस ओलंपिक में मासू ने सिंगल और डब्ल्स, दोनों श्रेणियों में गोल्ड मैडल जीतकर सबको चौंका दिया। वो एक ही ओलंपिक में ऐसा करने वाले विश्व के एकमात्र खिलाड़ी बने। साथ ही, मासू द्वारा 2004 में जीते गए इन दो गोल्ड मैडल्स के अलावा आज तक चिली ने ओलंपिक में कोई गोल्ड नहीं जीता है। हालांकि निकोलस मासू का ग्रैंड स्लैम का सफर काबिले तारीफ नहीं रहा है। वो किसी भी ऐसे टूर्नामेंट के क्वॉर्टर फाइनल में भी जगह नहीं बना सके हैं। 2005 के यूएस ओपन में वो क्वॉर्टर के सबसे करीब पहुंचे, जब वो चौथे स्थान तक आ गए थे। लेकिन फिर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। बाकी बड़ी प्रतियोगिताओं की बात करें तो मासू ने 2005 में ऑस्ट्रेलियन ओपन के दूसरे दौर में जगह बनाई। वहीं 2004 और 2006 में फ्रैंच ओपन के वो तीसरे दौर तक पहुंचे। जबकि विंबलडन में वो सबसे अधिक 2001 में तीसरे राउंड तक पहुंचने में कामयाब रहे हैं। #3 Monika Puig प्यूर्तो रिको की टेनिस प्लेयर मोनिका पुइग ने रियो ओलंपिक की सिंगल कैटेगरी में गोल्ड जीतकर टेनिस जगत में खलबली मचा दी। इस युवा खिलाड़ी ने फाइनल में जर्मनी की शानदार फॉर्म में रहीं 'ऐंग्लीके कर्बर' को मात दी थी। इतना ही नहीं मोनिका ने ओलंपिक के सेमी फाइनल में दो बार की विंबलडन विजेता पैत्रा क्वितोवा को हराया था। मोनिका के इस कारनामे के साथ ही वो अपने देश के लिए ओलंपिक गोल्ड जीतने वाली पहली खिलाड़ी बनीं। साथ ही वो पहली लेटिन अमेरिकन खिलाड़ी हैं जिसने ओलंपिक गोल्ड जीता हो और दूसरी खिलाड़ी हैं जिसने ओलंपिक में कोई पदक हासिल किया है। वहीं अगर ग्रैंड स्लैम प्रदर्शन की बार करें तो 32वीं रैंकिंग की मोनिका अभी तक किसी भी बड़े टूर्नामेंट के क्वॉर्टर तक पहुंचने में भी विफल रही हैं। वो 2013 में विंबलडन के चौथे दौर तक पहुंच सकी थीं। वहीं, तीसरे दौर में प्रवेश करना उनका ऑस्ट्रेलियन ओपन में अभी तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है। फ्रैंच ओपन की बात करें तो वो 2013 और 2014 में तीसरे दौर तक जा पाईं। पुइग का यूएस ओपन का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा है 2014 में, जब वो दूसरे दौर में जगह बनाने में कामयाब रही थीं। इस साल ओलंपिक गोल्ड जीतने के बाद, US Open में उनसे ज्यादा की उम्मीद थी, लेकिन वो ऐसा नहीं कर सकीं। #2 Miloslav Mecir
‘चेक रिपब्लिक’ के सबसे दमदार टेनिस खिलाड़ियों में मिलोस्लाव मेकर का नाम सबसे ऊपर आता है। ‘The Big cat’ के नाम से बुलाए जाने वाले मिलोस्लाव की कोर्ट पर फुर्ती और उनके फुटवर्क का कोई मुकाबला नहीं था। उनके करियर की अनोखी बात थी कि उन्होंने स्वीडन के काफी खिलाड़ियों को हराया था। इसी कारण उन्हें ‘Swede Killer’ भी कहा जाता था। 1988 में, सियोल ओलंपिक के दौरान टेनिस खेल फिर से ओलंपिक में शामिल किया गया था। इस ओलंपिक में मेकर ने सेमिफाइनल में शीर्ष वरीयता प्राप्त स्वीडन के खिलाड़ी को मात दी, फिर फाइनल में अमेरिकी खिलाड़ी हो हराकर ओलंपिक गोल्ड अपने नाम किया। अपने छोटे लेकिन बेहतरीन करियर में वो सबसे ज्यादा चौथी विश्व रैंकिंग तक पहुंचे। मेकर अपने करियर में एक भी ग्रैंडस्लैम नहीं जीत पाए। 1986 के यूएस ओपन और 1989 के ऑस्ट्रेलियन ओपन में मेकर उपविजेता रहे। कमाल की बात तो ये थी कि दोनों खिताबी मुकाबलों में वो अपने हमवतन इवान लेंडिल से ही हारे। फ्रैंच ओपन और विंबलडन में वो 1987 और 1988 में क्रमानुसार, सेमिफाइनल में जगह बना पाए। #1 Elena Dementieva
एलीना देमेनतीवा अपने आक्रामक बेसलाइन खेल और जोरदार स्ट्रोक्स के लिए टेनिस कोर्ट पर जानी जाती रहीं। 18 की उम्र में वो सन 2000 के ओलंपिक फाइनल में पहुंचीं, लेकिन वीनस विलियम्स से हार गईं। इसके आठ साल बाद उन्होंने बीजिंग ओलंपिक के फाइनल में दिनारा सफीना को हराकर गोल्ड मैडल जीता। 2010 में रिटायर होने से पहले उन्होंने 2009 में करियर की सर्वश्रेष्ठ तीसरी रैंक हासिल की। रूस की इस शानदार खिलाड़ी के नाम एक भी ग्रैंड स्लैम खिताब नहीं है। 2004 में उन्होंने दो ग्रैंड स्लैम फाइनल खेले लेकिन जीत से चूक गईं। उनका सबसे अच्छा ऑस्ट्रेलियन ओपन का प्रदर्शन 2009 में सामने आया था जब वो सेमिफाइनल तक पहुंचीं। इसके अलावा विंबलडन में वो सन 2008 और 2009 में सेमिफाइनल तक ही आगे बढ़ पाईं।