वो साल 1996 था और एटलांटा गेम्स से 44 साल पहले तक किसी भारतीय ने ओलंपिक्स में व्यक्तिगत मेडल नहीं जीता था। हालांकि, यह साल भारत के लिए निर्णायक साबित हुआ जब लिएंडर पेस ने फर्नांडो मेलीजेनी को मात देकर ब्रॉन्ज मेडल जीता था। चार साल के प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के पुरुष सिंगल्स वर्ग में लिएंडर पेस ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। लिएंडर पेस के लिए पहला ड्रॉ आसा नहीं था और उनके विरोधी पीट सैम्प्रास थे। मगर सैम्प्रास ने चोट के कारण टूर्नामेंट से अपना नाम वापस लिया और भारत के लिएंडर पेस को पहले राउंड में रिची रेनबर्ग के खिलाफ मुकाबला मिला।
लिएंडर पेस ने लगातार मैच जीते और उनका आंद्रे अगासी के खिलाफ ड्रीम सेमीफाइनल मुकाबला आया। सौरव घोषाल की मेजबानी में द फिनिश लाइन ऐपिसोड में 18 बार के ग्रैंड स्लैम चैंपियन लिएंडर पेस ने कहा, 'मुझे पता था कि शक्ति के दम पर अगासी को नहीं हरा सकता। मैं उन्हें बेसलाइन स्ट्रोक और ग्राउंडस्ट्राक रेली के आधार पर नहीं हरा सकता था। मुझे पता था कि बेसलाइन पर वह बिल्ली जैसे मूव कर सकते थे तो उनसे बेहतर बनने के लिए मुझे अपनी ताकत के मुताबिक खेलना होगा।'
लिएंडर पेस ने आगे कहा, 'मैच के दौरान मैं चोटिल हो गया था, मेरी कलाई में चोट लगी थी। मैंने अपने डॉक्टर को जोर दिया कि मैं खेलना चाहता हूं और इसलिए मैंने अपनी कलाई पर पट्टी बांधी और मैच खेलने दोबारा उतार दिया। मगर इससे मदद नहीं मिली क्योंकि दर्द ज्यादा ही हो रहा था।'
लिएंडर पेस पर मंडराया था करियर खत्म होने का खतरा
लिएंडर पेस का ब्रॉन्ज मेडल मैच से पहले मैच एक दिन का ब्रेक था और उन्हें डॉक्टर ने चेतावनी दी थी कि अगर कलाई पर ज्यादा जोर दिया तो करियर बर्बाद हो सकता है। मगर लिएंडर पेस ने ओलंपिक सपने को पूरा करने की ठानी और मेलीजेनी के खिलाफ मैच खेलना तय किया। यह पूछने पर कि मैच से पहले शारीरिक तैयारी कैसे की और इतनी बड़ी चोट के बावजूद कैसे सकारात्मक रहे। लिएंडर पेस ने जवाब दिया, 'मुझे पता था कि एटलांटा ओलंपिक्स शारीरिक रूप से कड़ा होने वाला है क्योंकि यह ऊंचाई पर खेला जाना था। मैं शारीरिक और मानसिक रूप से काफी बदलाव से गुजरा।'
लिएंडर पेस ने आगे कहा, 'अगासी से हारने के बाद मैं थोड़ा बिखर गया था, लेकिन इतने सालों में मैंने मेहनत झोंकी और 15 साल तक खून-पसीना एक किया, तो इसे ऐसे ही बर्बाद नहीं कर सकता। मैंने ब्रॉन्ज मेडल मैच की दमदार तैयारी की और देश के लिए ओलंपिक मेडल की उम्मीदें जीवित रखी।' लिएंडर पेस ने 3-6, 6-2, 6-4 के अंतर से मुकाबला जीता और 44 साल के लंबे अंतराल में व्यक्तिगत मेडल जीता।