विम्बल्डन में नहीं खेल सकेंगे रूसी और बेलारूसी टेनिस खिलाड़ी, ATP ने किया फैसले का विरोध

विम्बल्डन के आयोजक काफी समय से बैन को लेकर इशारे कर रहे थे।
विम्बल्डन के आयोजक काफी समय से बैन को लेकर इशारे कर रहे थे।

आखिरकार टेनिस फैंस और खिलाड़ियों के बीच जिस बात की चर्चा थी वही सच साबित हुई। ऑल इंग्लैंड लॉन टेनिस क्लब यानी AELTC ने इस साल होने वाली विम्बल्डन टेनिस प्रतियोगिता से रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों को यूक्रेन युद्ध के मामले में बैन कर दिया है। आयोजकों ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी। इस फैसले के आने के बाद से ही टेनिस फैंस दो धड़ों में बंट गए हैं। वहीं खिलाड़ी भी अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं।

ATP ने बयान जारी कर रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों के खिलाफ बैन पर नाराजगी जताई है।
ATP ने बयान जारी कर रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों के खिलाफ बैन पर नाराजगी जताई है।

लंदन के विम्बल्डन में बने ऑल इंग्लैंड क्लब में आयोजित होने वाले इस सबसे प्रतिष्ठित ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के आयोजकों ने काफी पहले ही संकेत दे दिए थे कि विम्बल्डन में इस बार रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों की एंट्री काफी मुश्किल होगी, और अब इस बात पर मुहर लग गई है। हालांकि खुद ATP यानी पुरुष टेनिस संघ ने इस फैसले के को गलत बताया है। WTA ने भी फैसले का समर्थन करने से इंकार किया है।

मेदवेदेव, रुब्लेव जैसे खिलाड़ी होंगे गायब

आयोजकों के इस फैसले के बाद दुनिया के नंबर 2 खिलाड़ी रूस के डेनिल मेदवेदेव, नंबर 8 रूस के एंड्री रुब्लेव, महिला टेनिस में नंबर 4 बेलारूस की आर्यना सबालेंका जैसे खिलाड़ी विम्बल्डन का हिस्सा नहीं बन पाएंगे। प्रतियोगिता का आयोजन 27 जून से 10 जुलाई के बीच होना है। मेदवेदेव को इस बार विम्बल्डन में काफी प्रबल दावेदार माना जा रहा था।

खेल में दखलअंदाजी कितनी जायज

24 फरवरी को कई दिनों की चेतावनी, झगड़े और बयानों के बाद आखिरकार रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इशारे पर रूसी सेना ने राजनीतिक कारणों के चलते यूक्रेन में अपनी सेना भेजी और ये युद्ध आज भी जारी है। रूस को बेलारूस के रूप में क्षेत्र में सिर्फ एक देश ने समर्थन दिया जबकि ब्रिटेन समेत अन्य यूरोपीय देश और अमेरिका रूस के खिलाफ हो गए। कई फैंस का आरोप है कि यूक्रेन का समर्थन करने वाले इन देशों ने अभी तक यूक्रेन में अपनी सेना या बल भेजकर कोई मदद नहीं की। फैंस का आरोप है कि ये सेलेक्टिव टार्गेटिंग का नतीजा है और ब्रिटेन समेत कई देशों पर रूसी और बेलारूसी खिलाड़ियों के खिलाफ अनावश्यक रूप से दबाव बनाने के खलाफ आवाज उठा रहे हैं। इस पूरे मसले पर ब्रिटिश सरकार की भी काफी दखलअंदाजी की खबरें पहले सामने आईं थीं।

हालांकि कई फैंस इस फैसले से काफी खुश भी हैं और लगातार मांग कर रहे हैं कि इस युद्ध के दौरान किसी भी रूसी खिलाड़ी ने अपनी सरकार के खिलाफ सीधे बयान नहीं दिया।