टेनिस के सबसे प्रतिष्ठित माने जाने वाले ग्रैंड स्लैम विम्बल्डन में इस साल रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलेगा या नहीं, ये स्थिति अभी तक साफ नहीं हुई है। ऐसे में विम्बल्डन के आयोजनक ब्रिटिश सरकार से बातचीत कर सलाह ले रहे हैं कि इन दो देशों के खिलाड़ियों के भविष्य के बारे में क्या फैसला लिया जाना है। टेनिस इतिहास की सबसे पुरानी प्रतियोगिता का आयोजन लंदन के विम्बल्डन के ऑल इंग्लैंड टेनिस क्लब में होता है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिकी और ब्रिटिश सरकार ने रूस और बेलारूस के संबंधित कई व्यापारों, व्यापारियों पर अलग-अलग प्रतिबंध लगाए हैं, और यही वजह है कि विम्बल्डन के आयोजक भी इस साल जून-जुलाई में होने वाली इस चैंपियनशिप के आयोजन से पहले ब्रिटिश सरकार की राय लेना चाहते हैं।
ऑल इंग्लैंड लॉन टेनिस क्लब यानी AELTC ने ये ऐलान किया है कि टूर्नामेंट में आवेदन के लिए आखिरी तिथि मई महीने के मध्य की है और ऐसे में वो तभी कोई फैसला दे पाएंगे।
यूक्रेन पर रूसी सेना ने फरवरी के आखिरी हफ्ते में हमला किया था, जिसके बाद दुनियाभर के कई बड़े देश रूस के खिलाफ हो गए, जिनमें ब्रिटेन भी शामिल है। वहीं बेलारूस ने रूस का साथ दिया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई खेल संघों ने रूस और बेलारूस के खिलाड़ियों को बैन कर दिया। फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी फीफा ने तो रूस की टीम से विश्वकप क्वालीफ़ायर खेलने का मौका भी छीन लिया। अंतर्राष्ट्रीय टेनिस संघ और अन्य टेनिस संघों ने फैसला किया कि टीम ईवेंट में रूस और बेलारूस के खिलाड़ी भाग नहीं ले पाएंगे, जबकि साल भर होने वाले प्रोफेशन टेनिस टूर्नामेंट में इन दोनों देशों के खिलाड़ियों के नाम के आगे उनके राष्ट्रीय ध्वज का प्रयोग नहीं होगा।
वर्तमान में पुरुष सिंगल्स में विश्व नंबर 2 डेनिल मेदवेदेव, एंड्री रुब्लेव, महिला सिंगल्स में विश्व नंबर 5 बेलारूस की आर्यना सबालेंका समेत सभी रूसी और बेलारूसी खिलाड़ी टेनिस खेल रहे हैं। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने पिछले एक महीने से ही रूस और बेलारूस से जुड़े सभी लोगों के खिलाफ एक सा रुख अख्तियार किया है। हालांकि इस पूरे प्रकरण में अधिकतर फैंस का यही मानना है कि विम्बल्डन या किसी भी अन्य खेल स्पर्धा में जबरन राजनीति को लाते हुए खिलाड़ियों को खेलने से रोकना गलत है क्योंकि युद्ध में उन्होंने भाग नहीं लिया। इस कारण टेनिस में विशेष रूप से मेदवेदेव के समर्थन में काफी फैंस सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं। वैसे मेदवेदेव का हाल ही में हर्निया का ऑपरेशन हुआ है जिस कारण वो वैसे ही 1 से 2 महीने कोर्ट से बाहर रहने का ऐलान कर चुके हैं।
पिछले महीने ही ब्रिटिश सरकार के खेल मंत्री ने साफ किया था कि विम्बल्डन में भाग लेने से पहले मेदवेदेव और बाकी रूस और बेलारूसी खिलाड़ियों को ये साबित करना पड़ सकता है कि वो रूस के राष्ट्रपति पुतिन की नीतियों के समर्थन में नहीं हैं। ऐसे में टूर्नामेंट शुरु होने के बाद किसी तरह की कठिनाई उत्पन्न न हो, इस कारण विम्बल्डन के आयोजक लगातार ब्रिटिश सरकार से सलाह ले रहे हैं।