'मीराबाई 2.0' के नाम से मशहूर भारत की वेटलिफ्टर बिंदियारानी देवी को आज देश के कोने-कोने से बधाई मिल रही हैं। आखिर उपलब्धि ही ऐसी है। 23 साल की बिंदिया ने 55 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में देश के पदकों की संख्या में इजाफा किया। मीराबाई चानू की तरह ही मणिपुर की रहने वाली बिंदिया के मुकाबले के लिए उनके भाई ने फोन पर इन खेलों का प्रसारण कर रही ऐप का सब्सक्रिप्शन विशेष रूप से लिया ताकि घर-परिवार के लोग बिंदिया को खेलते देख सकें। किसान पिता ने मेहनत कर बेटी के चैंपियन बनने के सपने में योगदान दिया और आज बेटी ने सर फक्र से ऊंचा कर दिया है।
27 जनवरी 1999 को मणिपुर के एक किसान परिवार में जन्मी बिंदिया रानी को बचपन से ही कॉन्टेक्ट स्पोर्ट काफी पसंद थे और इसलिए ताइक्वांडो में रुचि दिखाई। ताइक्वांडो सीख रही बिंदिया ने बढ़ते हुए भारत की सबसे प्रसिद्ध महिला वेटलिफ्टरों में शामिल कुंजुरानी देवी के नाम की चर्चा सुनी। कुंजुरानी भी मणिपुर की ही रहने वाली हैं। ऐसे में बिंदिया ने कुंजुरानी से प्रभावित होकर ताइक्वांडो की जगह वेटलिफ्टिंग को बतौर खेल चुना और इसी में करियर बनाने की सोची। खेती करने वाले परिवार ने बेटी के सपने को पूरा करने के लिए अपनी ओर से हर संभव कोशिश की।
मीराबाई चानू ने SAI के इम्फाल में बने ट्रेनिंग सेंटर से सफर शुरु किया था, बिंदिया भी वहीं पहुंची अपने करियर को उड़ान देने के लिए।साल 2016 में अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बिंदिया ने भाग लेना शुरु किया। इसी साल बिंदिया ने जूनियर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में 53 किलोग्राम भार वर्ग का सिल्वर मेडल अपने नाम किया। बिंदिया ने साल 2019 की कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में 55 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड जीता और दिसंबर 2021 में इसी स्पर्धा का सिल्वर अपने नाम किया। दिसंबर 2021 में ही बिंदिया विश्व चैंपियनशिप में चौथे नंबर पर रहीं थीं।
कॉमनवेल्थ खेलों से पहले बिंदिया का स्नैच में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 84 किलोग्राम का था जबकि क्लीन एंड जर्क में ये 114 किलो था। बिंदिया ने बर्मिंघम में इस प्रदर्शन को बेहतर करते हुए स्नैच में 86 किलोग्राम और क्लीन एंड जर्क में 116 किलोग्राम का भार उठाया। बिंदिया का अगला लक्ष्य विश्व चैंपियनशिप और पेरिस ओलंपिक में पदक लाने का है।