गुरुराज पुजारी - ट्रक चलाकर पिता ने बनाया बेटे को चैंपियन वेटलिफ्टर

गुरुराज ने 61 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।
गुरुराज ने 61 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता है।

घर में गरीबी, 5 भाई, पिता ट्रक चालक, हर कदम पर परेशानी, लेकिन कुछ करने का जुनून है जो वेटलिफ्टर गुरुराज पुजारी को सबसे अलग बनाता है। 29 साल के इस भारतीय वेटलिफ्टर ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में देश की लिए 61 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल जीता और लगातार दूसरी बार इन खेलों में जीत दर्ज की। गुरुराज ने 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में 56 किलोग्राम भार वर्ग का सिल्वर जीता था। लेकिन ये सफर इतना आसान नहीं रहा है। देश के कई युवाओं की तरह गुरुराज ने भी परिवार को बेहतर जिंदगी देने के लिए खेलों में हाथ आजमाया।

Team India wins its second Medal. Congratulations Gururaja Poojary on winning the 🥉 in weightlifting 🏋️‍♀️ in the 61 KG category. #Ekindiateamindia #B2022 https://t.co/SIWhkyINyQ

कर्नाटक के उडुपी जिले के वांडसे गांव के रहने वाले गुरुराज के पिता ने ट्रक चलाकर घर का पालन-पोषण किया। बचपन में गुरुराज कुश्ती में जाना चाहते थे। 2008 के बीजिंग ओलंपिक में सुशील कुमार को ब्रॉन्ज मेडल जीतते देखा तो गुरुराज ने भी इसी खेल में हात आजमाने की ठानी। 156 सेंटीमीटर के कद के साथ कुश्ती का खेल उन्हें जमा। लेकिन कोच ने उनके टैलेंट को देख वेटलिफ्टिंग आजमाने की सलाह दी। उजिरे के एसडीएम कॉलेज में पढ़ते हुए गुरुराज ने वेटलिफ्टिंग जारी रखी लेकिन पढ़ाई को भी तवज्जो दी। 2014 के कॉमनवेल्थ खेल में वेटलिफ्टर विकास ठाकुर ने सिल्वर जीता तो गुरुराज ने कॉमनवेल्थ को अपना सपना बना लिया।

गुरुराज ने 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में सिल्वर मेडल हासिल किया था।
गुरुराज ने 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में सिल्वर मेडल हासिल किया था।

गुरुराज अलग-अलग प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे। घर की वित्तीय हालत अच्छी नहीं थी, और ऐसे में प्रतियोगिताओं से मिलने वाली धनराशि को ही अपनी ट्रेनिंग और डाइट पर खर्च किया। साल 2016 में गुरुराज ने साउथ एशियन गेम्स में गोल्ड जीता। 2017 में गुरुराज ने ऑस्ट्रेलिया में हुई कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज अपने नाम किया।

अपने खेल में मदद मिल सके और ट्रक चालक पिता का घर में हाथ बंटा सकें, इस कारण गुरुराज ने भारतीय थल सेना में भर्ती होने की कोशिश की लेकिन छोटे कद की वजह से पीछे रह गए। लेकिन गुरुराज ने हार नहीं मानी और भारतीय वायुसेना के 152 सेंटीमीटर कद के मानक को पूरा कर आज वायुसेना का हिस्सा भी हैं। गुरुराज ने कॉमनवेल्थ में ब्रॉन्ज जीतकर वायुसेना का भी मान बढ़ाया है। जीत के बाद गुरुराज ने अपनी पत्नी सौजन्या को अपना पदक समर्पित किया।

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Edited by निशांत द्रविड़
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