जेरेमी लालरिननुंगा का नाम आज देश में हर कोई ले रहा है और 19 साल के इस वेटलिफ्टर को बधाई दे रहा है। जेरेमी ने इतनी छोटी उम्र में बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में 67 किलोग्राम भार वर्ग में गोल्ड जीत सभी को अपना मुरीद कर लिया है। स्नैच में 140 किलो उठाने के बाद जेरेमी ने क्लीन एंड जर्क में 160 किलो भार उठाकर नया रिकॉर्ड बनाया।
इस भार को उठाने में जेरेमी को चोट भी लगी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और गोल्ड पक्का होने के बाद भी अगले दो प्रयासों में ज्यादा भार उठाने की कोशिश करते रहे। जेरेमी ने खेलों की शुरुआत से पहले ही गोल्ड जीतने की ठान ली थी और इसके लिए उन्होंने अपने फोन के वॉलपेपर पर भी कॉमनवेल्थ खेलों के गोल्ड मेडल की तस्वीर लगाई थी। जेरेमी ने खुद को मोटिवेट करने के लिए ऐसा किया और आज इसका परिणाम सभी देख रहे हैं।
बॉक्सिंग को छोड़ चुनी वेटलिफ्टिंग
26 अक्टूबर 2002 को मिजोरम में जन्में जेरेमी के घर में शुरुआत से खेलों का माहौल था। पिता लालनिएथलुआंगा बॉक्सिंग करते थे और अपनी एकेडमी भी चलाते थे। ट्रेनिंग के लिए जेरेमी समेत अपने चारों बेटों को रोज प्रैक्टिस करवाते। लेकिन वित्तीय मदद की कमी के चलते ये एकेडमी ज्यादा नहीं चल पाई और जेरेमी के पिता ने इसे बंद कर दिया। बेटे को खेलने का शौक था तो पिता ने वेटलिफ्टिंग में हाथ आजमाने को कहा। जेरेमी ने प्रैक्टिस शुरु की और जल्द ही पुणे में बने आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट के अधिकारियों ने उनके टैलेंट को देखा, परखा और उन्हें ASI आने का मौका मिला।
साल 2016 में महज 14 साल की उम्र में जेरेमी ने वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का सिल्वर जीता। 2017 में भी जेरेमी को सिल्वर मिला, लेकिन असली उपलब्धि साल 2018 में आई जब महज 15 साल की उम्र में जेरेमी ने अर्जेंटीना में हुए यूथ ओलंपिक खेलों में देश को इतिहास का पहला गोल्ड दिलाया। जेरेमी ने 62 किलोग्राम भार वर्ग में 274 किलो वजन उठाते हुए गोल्ड अपने नाम किया। इसके बाद से ही जेरेमी पर देश की नजर रही और उन्हें ओलंपिक खेलों के लिए बनाई गई विशेष TOPS स्कीम में भी शामिल किया गया। जेरेमी भारतीय सेना में नायब सुबेदार के पद पर भी तैनात हैं।
जेरेमी का अगला लक्ष्य 2024 के पेरिस ओलंपिक हैं। फिलहाल कॉमनवेल्थ खेलों की उनकी उपलब्धि पर सभी उन्हें बधाई दे रहे हैं और उनकी जल्द रिकवरी की भी कामना कर रहे हैं।