4 फरवरी से चीन की राजधानी बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक खेल शुरु होने जा रहे हैं। ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों की तरह ही हर 4 साल के अंतराल पर आयोजित होने वाले इन खेलों में शीतकाल से जुड़े खेलों को शामिल किया जाता है। 20 फरवरी तक आयोजित होने वाले ये इतिहास के 24वें शीतकालीन ओलंपिक खेल हैं। बीजिंग इतिहास में पहला ऐसा शहर बन जाएगा जहां शीतकालीन और ग्रीष्मकालीन, दोनों ही ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ हो। इससे पहले साल 2008 में बीजिंग में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन हुआ था। बर्फ और ठण्ड से भरे इस खेल महाकुंभ के बारे में आपको बताते हैं कुछ खास तथ्य -
1) साल 1924 में पहली बार शीतकालीन खेलों का आधिकारिक आयोजन फ्रांस के चेमोनि में किया गया। दरअसल इसी साल पेरिस में ग्रीष्मकालीन ओलंपिक का आयोजन होना था। करीब 2 दशकों से शीतकालीन खेलों के लिए ओलंपिक आयोजित करने का प्रयास किया जा रहा था जो सफल नहीं हो रहा था, ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने फ्रांस को जिम्मेदारी दी कि वो पहले इंटरनेशनल विंटर स्पोर्ट्स वीक का आयोजन करे।
2) साल 1992 तक ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन ओलंपिक खेल एक ही साल में आयोजित होते रहे। साल 1992 में फ्रांस के ऐलबर्टविल में आयोजन के दो साल बाद ही साल 1994 में नॉर्वे में खेलों का आयोजन किया गया और तभी से ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन खेलों के बीच में दो साल का अंतर रखा जा रहा है।
3) अभी तक शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन दुनिया के 7 में से 3 ही महाद्वीपों में हुआ है - उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया। ये आयोजन कुल 12 देशों में हुए हैं।
4) अमेरिका ने सबसे ज्यादा 4 बार इन खेलों की मेजबानी की है - 1932 (लेक प्लासिड), 1960 (स्कवॉड वैली), 1980 (लेक प्लासिड), 2002 (सॉल्ट लेक सिटी)। फ्रांस को तीन बार मेजबान बनने का मौका मिला है (1924, 1968, 1992)। ऑस्ट्रिया, कनाडा, जापान, इटली नॉर्वे और स्विटजरलैंड ने 2-2 बार आयोजन किया है। जर्मनी, रूस, यूगोस्लाविया और दक्षिण कोरिया ने 1 बार मेजबानी की है। जबकि चीन इस बार आयोजन कर इस सूची में शामिल होने वाला 13वां आयोजक देश बन जाएगा।
5) साल 2018 तक पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित किसी भी देश ने शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी के लिए दावा पेश नहीं किया। प्रमुख रूप से शीतकालीन खेलों के लिए विशेष मौसम और परिस्थितियों की आवश्यकता है जिस कारण ऐसा है। यही कारण है कि भारत में भी ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के प्रति जो रुचि है वो शीतकालीन खेलों के लिए नहीं आ पाती।
6) अमेरिका इकलौता देश है जिसने हर शीतकालीन खेल में भाग लेते हुए कम से कम 1 गोल्ड मेडल जरूर जीता है। ऑस्ट्रिया, कनाडा, फिनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन 5 ऐसे देश हैं जिन्होंने हर ओलंपिक में भाग लेते हुए कम से कम 1 पदक जीता हो, भले ही वो सिल्वर या कांस्य रहा हो।
7) शीतकालीन खेलों का आयोजन करना किसी भी मेजबान देश के लिए पिछले कई सालों से घाटे का सौदा साबित हो रहा है। भारत समेत विश्व के कई बड़े देशों में अधिक लोकप्रिय न होने के कारण शीतकालीन खेलों को ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाता एवं न ही ज्यादा दर्शक। इसके साथ ही खेलों को आयोजित करने के लिए विशेष तैयारी करनी होती है जो काफी खर्चीली साबित होती हैं। 2021 के ग्रीष्मकालीन टोक्यो ओलंपिक आयोजित करने में करीब 15 अरब डॉलर का खर्च हुआ था जबकि इतिहास के सबसे महंगे शीतकालीन ओलंपिक 2014 में रूस के सोची में आयोजित हुए जिनके लिए 55 अरब डॉलर का खर्च हुआ।
8) साल 1998 में जापान के नागानो में आयोजित खेलों में पहली बार 2 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने शिरकत की।
इस साल बीजिंग में होने वाले खेलों में पास के शहर यांगकिंग और चोंगली में भी कुछ स्पर्धाएं आयोजित होंगी। कुल 7 खेलों में 15 स्पर्धाओं में 109 ईवेंट आयोजित किए जाएंगे। हेती और सऊदी अरब इन खेलों में पहली बार शिरकत करेंगे।