भारतीय महिला पहलवान दिव्या काकरान ने 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में 68 किलोग्राम भार वर्ग महिला कुश्ती का ब्रॉन्ज मेडल जीत पूरे देश का दिल जीत लिया है। 23 साल की इस युवा रेसलर के लिए ये उपलब्धि काफी मायने रखती है क्योंकि बेहद संघर्ष के बाद वो इस मुकाम तक पहुंची हैं। दिव्या के पिता कभी लंगोट बेचकर घर चलाते थे, लेकिन बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की, और आज दिव्या ने लगातार दूसरी बार कॉमनवेल्थ मेडल जीतकर पिता का नाम रोशन किया है।
पिता ने बनाया चैंपियन
मूल रूप से उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के पूर्बलियान की निवासी दिव्या के पिता का सपना रेसलर बनने का था। लेकिन वह गरीब परिवार से थे और घर चलाने की मजबूरी में इस सपने को पूरा नहीं कर पाए। लेकिन जब अपनी छोटी सी बेटी का कुश्ती के प्रति लगाव देखा तो ठान लिया कि उसे चैंपियन रेसलर जरूर बनाएंगे। परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया और दिव्या ने यहीं कुश्ती के दांव-पेंच सीखे। दिव्या की मां घर चलाने के लिए लंगोट सिला करती थीं जिसे दिव्या के पिता दंगल में जाकर बेचा करते थे। लेकिन दिव्या के खान-पान और ट्रेनिंग में पिता सूरज सेन ने कमी नहीं होने दी।
साल 2017 में दिव्या ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन बनीं। इसी साल 68 किलोग्राम भार वर्ग में एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप का गोल्ड भी जीता। दिव्या ने सीनियर नेशनल चैंपियनशिप और कॉमनवेल्थ रेसलिंग चैंपियनशिप में भी इसी साल गोल्ड मेडल अपने नाम किया। साल 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में दिव्या ब्रॉन्ज मेडल लाने में कामयाब रहीं और एशियन गेम्स में भी ब्रॉन्ज जीता।
सीएम को सुनाई थी खरी-खोटी
2018 के एशियन गेम्स में मेडल जीतने के बाद दिल्ली सरकार ने एक सम्मान समारोह में दिव्या समेत दिल्ली के अन्य खिलाड़ियों को बुलाया था। इस समारोह में दिव्या ने बेबाकी से दिल्ली सरकार की ओर से खेलों की तैयारी के लिए वित्तीय मदद नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल को काफी खरी-खरी सुनाई थी। दिव्या को 2017 में कुश्ती में अच्छे प्रदर्शन के बाद सरकार ने वित्तीय मदद का वायदा किया था लेकिन कुछ हुआ नहीं। ऐसे में दिव्या ने अगले ही साल दिल्ली छोड़ राष्ट्रीय स्पर्धाओं में उत्तर प्रदेश के लिए खेलना शुरु कर दिया था।
लगातार दूसरा मेडल
दिव्या ने 2019 में एशियन चैंपियनशिप में फिर ब्रॉन्ज जीता जबकि 2020 में गोल्ड लाईं। पिछले साल दिव्या ने 72 किलोग्राम वेट कैटेगरी में खेलते हुए इस प्रतियोगिता का गोल्ड जीता। बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के लिए दिव्या ने दोबारा 68 किलोग्राम भार वर्ग में दावा किया और गेम्स का हिस्सा बनीं। दिव्या ने इस बार भी ब्रॉन्ज जीत लगातार दूसरी बार कॉमेनवेल्थ गेम्स में मेडल जीता है। खास बात ये है कि दिव्या ने ब्रॉन्ज मेडल के लिए हुए मैच में सिर्फ 30 सेकेंड का समय लिया और विरोधी पहलवान को चित कर जीत दर्ज की।