भारत की युवा पहलवान अंशु मलिक ने विश्व रेसलिंग चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बना कर इतिहास रच दिया है। अंशु विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला हैं। नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में चल रही इस प्रतियोगिता में इस बार ये किसी भी भारतीय पहलवान का भी सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। अंशु ने इस प्रदर्शन के चलते एक पदक भी पक्का कर दिया है।
विश्व चैंपियन को हराया
19 साल की एशियन चैंपियन अंशु ने महिलाओं की 57 किलोग्राम कैटेगरी के सेमीफाइनल में यूक्रेन की जूनियर विश्व चैंपियन सोलोमिया विनिक को 11-0 के अंतर के साथ टेक्निकल सुपिरियोरिटी के जरिए मात दी। पूरे मुकाबले में अंशु ने अपने पैंतरों से जीत के हाव-भाव दिखाए। सोलोमिया अंशु की फुर्ती के बाद मात खा बैठीं, और एक के बाद एक अंक गंवाती चली गईं। अंशु ने इससे पहले प्री क्वार्टर-फाइनल में कजाकिस्तान की पहलवान नीलोफर रिमूवा को भी टेक्निकल सुपिरियोरिटी से हराय, और फिर क्वार्टर-फाइनल में मंगोलिया की दवाचिमेग एर्खेम्बयार को 5-1 से मात दी।
गोल्ड की राह मुश्किल
फाइनल में अंशु का मुकाबला 2016 रियो ओलंपिक की चैंपियन रहीं अमेरिका की हेलेन मरोलिस के खिलाफ होगा। ऐसे में ये मुकाबला बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है। अंशु से पहले कोई भी भारतीय महिला विश्व चैंपियनशिप के फाइनल तक नहीं पहुंची थीं,ऐसे में अंशु के पास फाइनल जीतकर इतिहास बनाने का मौका है। अंशु के अलावा भारत की सरिता मोर ने 59 किलोग्राम भार वर्ग में पदक की उम्मीदें जिंदा रखी हैं। सरिता सेमिफाइनल में विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीत चुकीं बिलयाना डुडोवा से 3-0 से हार गईं, और अब वो रेपेचाज से आने वाले विजेता पहलवान के सामने कांस्य पदक के लिए भिड़ेंगी। सरिता ने इससे पहले प्री क्वार्टर में विश्व चैंपियन कनाडा की लिंडा मोरिस को शानदार अंदाज में मात दी थी।
भारत के पास एक विश्व चैंपियन
अंशु से पहले केवल दो भारतीय पहलवान - सुशील कुमार साल 2010 में और बजरंग पुनिया साल 2018 में इस प्रतियोगिता के अपने-अपने वर्ग के फाइनल में पहुंचे थे। सुशील कुमार ने 2010 में विश्व चैंपियनशिप का गोल्ड मेडल जीता था, जबकि 2018 में बजरंग पुनिया फाइनल में हार गए थे। महिला वर्ग में चार भारतीय महिला पहलवान विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतने में कामयाब रही हैं - गीता फोगाट (2012), बबीता फोगाट (2012), पूजा ढांडा (2018) और विनेश फोगाट(2019)।