युवा भारतीय महिला पहलवान अंतिम पंघाल एशियन गेम्स के लिए ट्रायल जीतने के बाद भी स्टैंडबाई बनाए जाने के मामले में अब सर्वोच्च न्यायालय जाने की तैयारी में हैं। अंतिम बिना ट्रायल के विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के भारतीय कुश्ती दल में चयन के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट गईं थीं लेकिन कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना करते हुए अंतिम की अपील खारिज कर दी। ऐसे में 19 साल की अंतिम अपनी लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने जा रही हैं।
दरअसल अंडर-20 विश्व चैंपियन अंतिम ने शनिवार को एशियन गेम्स के लिए हुए कुश्ती के ट्रायल्स में महिलाओं के 53 किलोग्राम भार वर्ग में जीत हासिल की, लेकिन इस भार वर्ग में पूर्व विश्व चैंपियनशिप मेडलिस्ट विनेश फोगाट को मुख्य पहलवान के तहत भेजा जा रहा है और उन्हें इन ट्रायल से छूट दी गई थी। ऐसे ही पूर्व ओलंपिक मेडलिस्ट बजरंग पुनिया को भी अपने भार वर्ग में ट्रायल से छूट मिली, ऐसे में WFI की ओर से शनिवार को दिल्ली में कराए गए ट्रायल में यह साफ था कि इन दो खिलाड़ियों की वेट कैटेगरी के ट्रायल में जो भी जीतेगा वह पहलवान महज स्टैंडबाई बनकर एशियाड के लिए जाएगा। इसी मुद्दे को लेकर अंतिम और सुजीत कलकल ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
अंतिम ने एक इंटर्व्यू में बताया कि केवल दो खिलाड़ियों को इस तरह उनके पुराने परिणाम देखकर ट्रायल में छूट देना अन्य पदक विजेताओं और मेहनत कर रहे खिलाड़ियों के साथ नाइंसाफी है।
ऐसे तो और भी खिलाड़ी हैं जैसे रवि दाहिया, साक्षी मलिक, जिन्होंने ओलंपिक में मेडल जीते हैं। उन्हें इस प्रकार की छूट क्यों नहीं दी गई। जब मैंने ट्रायल में भाग लिया है तो मैं स्टैंडबाई कैसे हो सकती हूं। जो लोग ट्रायल में आए ही नहीं, उन्हें स्टैंडबाई बनाना चाहिए। बिना ट्रायल के आखिर उन्हें (विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया) किस आधार पर एशियन गेम्स में सीधे एंट्री मिल रही है?
विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक हाल ही में अप्रैल में WFI के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण मामले में धरने पर बैठे थे और लगातार प्रदर्शन के कारण अपनी प्रैक्टिस मिस करते रहे। WFI के संचालन के लिए भारतीय ओलंपिक संघ ने मई में एक विशेष समिति बनाई और इस समिति ने ही विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के पुराने प्रदर्शन का हवाला देते हुए इन्हें सीधे एशियन गेम्स में भाग लेने के लिए चुना है।