राजनेताओं की दखलअंदाजी से कहीं 'हाईजैक' ना हो जाए पहलवानों का धरना

पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर आरोप लगाए हैं जो बीजेपी सांसद हैं।
पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर आरोप लगाए हैं जो बीजेपी सांसद हैं

दिल्ली के जंतर-मंतर पर बैठे भारतीय स्टार पहलवान अपने धरने को लगातार मजबूती देने की कोशिश कर रहे हैं। WFI यानी भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाने वाले पहलवानों को शुक्रवार के दिन बड़ी जीत मिली जब सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। दूसरी ओर नीरज चोपड़ा, अभिनव बिंद्रा, सानिया मिर्जा, कपिल देव जैसे बड़े खेल सितारों की ओर से पहलवानों को इंसाफ दिलाने की बात भी कही जा रही है। लेकिन इन सभी के बीच पहलवानों का धरना धीरे-धीरे राजनीतिक रंग लेने लगा है और यह इस मुहिम के लिए घातक साबित हो सकता है।

धरने पर बैठी महिला पहलवानों से बातचीत करतीं कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा।
धरने पर बैठी महिला पहलवानों से बातचीत करतीं कांग्रेस नेता प्रियंका वाड्रा।

इस साल जनवरी में जब बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक, वीनेश फोगाट के साथ अन्य पहलवान पहली बार बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ सड़क पर धरना देने उतरे थे तो उन्होंने इस प्रदर्शन को राजनीति से दूर रखने का पूरा प्रयास किया था। यहां तक कि एक बहुत मशहूर राजनेता ने जब उनके साथ मंच पर खड़े होकर नारे लगाने का प्रयास किया तब बजरंग पुनिया ने खुद उन्हें आदर सहित मंच से उतरने के लिए कहा था। लेकिन इस बार कई राजनैतिक पार्टियों के नेता इस धरने का हिस्सा बनते दिख रहे हैं और इस मंच का इस्तेमाल कहीं ना कहीं सियासी फायदे के लिए होता दिख रहा है।

यह बात माननी होगी कि जब तीन महीने तक इन पहलवानों को बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों की जांच करने वाली समिति की ओर से की गई जांच की रिपोर्ट नहीं मिली और ना ही कार्यवाही से संतुष्टि हुई तो उन्हें मजबूरन दोबारा अपना धरना शुरु करना पड़ा। इस बार बजरंग पुनिया ने सभी राजनैतिक दलों से भी मदद की गुहार लगाई। इसका मुख्य कारण यही हो सकता है कि पहलवानों को लगा होगा कि राजनेताओं का समर्थन मिलने से उनकी आवाज बेहतर ढंग से सुनी जाएगी। लेकिन वह इस बात का अंदाजा नहीं लगा पाए कि राजनेता कहीं न कहीं इस मुद्दे में अपना फायदा ढूंढने की कोशिश कर सकते हैं।

बृजभूषण शरण सिंह देश की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के सांसद हैं और ऐसे में विपक्षी पार्टियों के लिए पहलवानों का धरना अपने मुद्दे आगे रखने का काफी अच्छा मौका है। एक-एक कर देश की कई विपक्षी पार्टियों के नेता पहलवानों के साथ सौहार्द दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। एक दिन पहले ही एक ऐसे राजनेता पहलवानों के साथ बैठे दिखाई दिए जिनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं। इस वजह से अब कई खेल प्रेमी भी पहलवानों के इस धरने के 'हाईजैक' होने की बात मान रहे हैं। यह बात इसलिए भी अहम है क्योंकि पहलवानों का समर्थन करने उतरी कई राजनैतिक पार्टियों के अंदर जब यौन उत्पीड़न के मामले प्रकाश में आते हैं तो वहां कुछ नहीं होता।

देश में हर कोने से पहलवानों को इंसाफ दिलाने की मांग उठ रही है, सुप्रीम कोर्ट में भी मामला जा चुका है और अब दिल्ली पुलिस ने भी FIR दर्ज कर जांच शुरु कर दी है। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि बजरंग पुनिया, साक्षी मलिक जैसे सीनियर पहलवान अपने धरने को राजनेताओं का मंच न बनने दें।

सोशल मीडिया के जरिए कोई राजनैतिक पार्टी समर्थन दे तो ठीक है, लेकिन ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स जैसी प्रतियोगिताओं में देश का नाम ऊंचा करने वाले खिलाड़ियों को यह भी सबक लेना होगा कि कहीं उनकी मेहनत को कुछ लोग अपने लाभ के लिए गलत तरीके से इस्तेमाल न करें, नहीं तो पहलवानों की कोशिश कमजोर होगी और उनका पक्ष अपनी अहमियत खो देगा।