देश की पहलवान पूजा सिहाग ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में महिला कुश्ती की 76 किलोग्राम वेट कैटेगरी में ब्रॉन्ज जीत देश को खुशी का पल दिया है। 25 साल की पूजा ने ऑस्ट्रेलिया की नाओमी डी ब्रुइन को हराकर अपना पहला कॉमनवेल्थ गेम्स मेडल हासिल किया। लेकिन पूजा कभी कुश्ती के नाम से भी कतराती थीं और इससे पीछा छुड़ाने की सोचती थीं, और आज वही पूजा पोडियम पर खड़ी होकर देश का मान बढ़ा रही हैं।
हरियाणा के रोहतक की रहने वाली पूजा की कहानी आमिर खान की फिल्म 'दंगल' से मिलती-जुलती है। पूजा सामान्य बच्चों की तरह बचपन बिता रही थीं कि साल 2011 में उनके गांव में लड़कियों के लिए रेसलिंग अकादमी खुल गई। पूजा का वजन काफी हुआ करता था और ऐसे में उनके माता-पिता ने बेटी के मोटापे को कम करने की सोचते हुए उसे रेसलिंग अकादमी में दाखिला दिला दिया। 13 साल की पूजा का मन कुश्ती में बिल्कुल नहीं लगता था। पूजा ने खुद एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें खाना और सोना पसंद था लेकिन उनके पिता रोज सुबह-शाम उन्हें लेकर अकादमी पहुंच जाते।
पूजा कुश्ती से कतराती थीं और कई बार ट्रेनिंग सेशन मिस करती थीं। अंतरराष्ट्रीय तो दूर की बात है, पूजा का मन राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती खेलने का भी नहीं था। लेकिन कुछ समय बाद उसी अकादमी से 5 लड़कियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती खेलने के लिए क्वालीफाई किया और विदेश गईं। तब पूजा के माता-पिता ने भी आस रखी कि अपनी बेटी को न जाने कब इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेलते देखेंगे और उसे छोड़ने दूसरों की तरह उन्हें भी एयरपोर्ट जाने का मौका मिलेगा। ये बात पूजा को काफी खली और फिल उन्होंने माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने की ठानी। पूजा ने दिल लगाकर कुश्ती सीखी।
इसके बाद पूजा ने जूनियर एशियन चैंपियनशिप में 3 ब्रॉन्ज और 1 सिल्वर मेडल जीता। साल 2017 में पूजा ने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप का सिल्वर अपने नाम किया। साल 2021 में पूजा सीनियर एशियन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीतने में कामयाब रहीं। और अब कॉमनवेल्थ खेलों में ब्रॉन्ज जीत अपनी छोली में एक और पदक शामिल कर लिया है। पूजा के पति अजय नंदल भी पहलवान हैं और भारतीय सेना में तैनात हैं।