कुश्ती का खेल भारतीय इतिहास में काफी लोकप्रिय रहा है। इस खेल की जड़ें देश के गांव-गलियों से जुड़ी हैं और यही वजह है कि इस खेल ने देश को कई नामी पहलवान दिए हैं। कुश्ती के खेल ने ओलंपिक में 6 पदक दिलाए हैं और इन खेलों का पहला एकल पदक भी कुश्ती के खेल में केडी जाधव ही लाए थे। ऐसे ही राष्ट्रमंडल यानी कॉमनवेल्थ खेलों की बात करें तो इसमें भी देश को पहला पदक कुश्ती के खेल ने दिया था। ये पहलवान थे राशिद अनवर जिन्होंने 1934 के खेलों में कुश्ती का कांस्य पदक अपने नाम किया था।
उन दिनों इन खेलों का नाम ब्रिटिश एम्पायर गेम्स हुआ करता था। 1910 में जन्में राशिद बचपन से ही कुश्ती करते थे और साल 1934 में जब ब्रिटिश गुलामी कर रहे भारत ने लंदन में हुए इन खेलों में भाग लिया तो भारत की ओर से उन्होंने पुरुषों की वेल्टरवेट यानी 74 किलोग्राम भार वर्ग की कुश्ती में हिस्सा लिया। राशिद ने इस स्पर्धा में कांस्य पदक जीता और देश को इन खेलों में पहला पदक दिलाया। राशिद ने 1936 के बर्लिन ओलंपिक में भी भाग लिया था। अनवर का खेल धीरे-धीरे इतना बेहतर हो गया था कि उनके चर्चे इंग्लैंड में भी होने लगे थे क्योंकि वो अपने करियर में बिलि राइली, नॉर्मन मोरेल जैसे धाकड़ ब्रिटिश पहलवानों को भी मात दे चुके थे।
राशिद का पदक 1934 के खेलों में देश का इकलौता पदक था। इसके बाद देश के लिए अगला मेडल साल 1958 में आया। तब आजाद भारत को पहली बार कॉमनवेल्थ खेलों में मेडल मिले। मिल्खा सिंह ने 440 यार्ड दौड़ और पहलवान लीला राम ने कुश्ती में गोल्ड जीते। वहीं कुश्ती में ही लक्ष्मी कांत पाण्डे ने वेल्टरवेट कैटेगरी में सिल्वर जीता।