Rio Olympics 2016: ग्रीको रोमन पहलवान रविंदर खत्री के बारे में 10 बातें

फ्रीस्टाइल में लड़ने वाले पहलवानों की अपार लोकप्रियता के चलते ग्रीको रोमन के पहलवान उतने चर्चित नहीं रहते हैं। लेकिन इस बार रियो ओलंपिक में 12 साल बाद भारत के दो पहलवानों ने क्वालीफाई किया है। 24 साल के रविंदर खत्री हरियाणा के रहने वाले हैं। 85 किग्रा में वह रियो में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। उनके साथ ही हरदीप सिंह ने भी क्वालीफाई किया है। 10 बातें जो हमें रविंदर खत्री के बारे में जाननी चाहिए: #1 रविंदर खत्री का जन्म 15 मई 1992 में हरियाणा के झज्जर जिले के बोडिया गाँव में किसान जयप्रकाश के यहाँ हुआ था। खत्री बचपन में ही कुश्ती की तरफ आकर्षित होने लगे थे। अपने पिता की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने गाँव का अखाड़ा ज्वाइन कर लिया था। #2 उनके लिए ये सब आसान नहीं था इसमें उनके परिवार का बहुत बड़ा हाथ रहा है। साल 2005 में तो उनके परिवार की ये स्थिति हो गयी कि उनकी कुश्ती ट्रेनिंग के लिए पैसे नहीं थे। वहीं खत्री महाराष्ट्र के बहादुरगढ़ में ट्रेनिंग कर रहे थे। उनकी कोचिंग पैसे की कमी से प्रभावित हो रही थी, तब उनके कोच हवा सिंह ने उन्हें तीन महीने तक मदद दी। #3 उनकी मेहनत रंग लायी और अगले ही साल 14 वर्ष के खत्री का चयन पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट में हो गया। ये वह जगह थी जहाँ उन्होंने अपनी क्षमता को बलवंत सिंह के देखरेख में धार दिया। #4 उन्होंने अपनी शुरुआत फ्रीस्टाइल पहलवान के तौर पर शुरू की थी। लेकिन उनका शरीर ग्रीको रोमन के लिए काफी फिट था इसलिए उन्होंने इसे चुना। वह तेजी से चीजों को सीखते गये और जूनियर स्तर पर उन्हें सफलता भी मिली। #5 जूनियर स्तर पर उन्हें साल 2007 में बड़ी सफलता मिली जब उन्होंने सब-जूनियर नेशनल रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया। उन्होंने अगले दो साल तक यही प्रदर्शन दोहराया। #6 साल 2012 लन्दन ओलंपिक में जब वह सिर्फ दो अंक से क्वालीफाई करने में असफल रहे तो ये उनके लिए सबसे बुरे वक्त में से एक था। जबकि वह उन्होंने इसके लिए काफी मेहनत की थी। “2012 में मैं ओलंपिक के लिए सिर्फ 2 अंक की वजह से क्वालीफाई नहीं कर पाया था। जिसके बाद मैंने अगले चार साल जमकर मेहनत किया और आज इस मुकाम पर हूँ।” रविंदर खत्री। #7 साल 2016 में रियो ओलंपिक का टिकट हासिल तो खत्री ने कर लिया लेकिन अचानक एक बार फिर चीजें बिगड़ गयीं। अस्ताना में हुए एशियन ओलंपिक क्वालीफ़ायर में वह तीसरे क्रम पर रहे। जहाँ पहले 2 स्थान वाले ही क्वालीफाई कर सकते थे। लेकिन चीजें एक बार फिर पलटी और रजत पदक विजेता किर्गिस्तान के जनार्बेक केंजीव डोप में फेल हो गये। #8 उन्हें अज़र्बेजान, उक्रेन और उज्बेकिस्तान के पहलवानों से कड़ी चुनौती मिलेगी। लेकिन वह देश का शान बढ़ाने के लिए तैयार हैं। खत्री कहते हैं, “सभी रेसलर ओलंपिक के लिए बढ़िया से तैयार हैं। कोई भी किसी को हल्के में नहीं ले रहा है। मेरा मानना है अज़र्बेजान, उक्रेन और उज्बेकिस्तान के पहलवानों हराना कठिन चुनौती होगी। लेकिन मैं अपने देश के मान को बढ़ाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा।” #9 पुणे का स्पोर्ट्स एनजीओ लक्ष्य और नेटसर्फ कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड खत्री का सहयोग करते हैं। उनके पिता का भी रियो का सारा खर्चा यही लोग उठा रहे हैं। जिससे वह अपने बेटे का हौसलाअफजाई कर सकें। #10 साल 2011 में उन्हें जाट ब्रिगेड ने हवलदार नियुक्त किया है।

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