10 बातें जिन्हें सुन-सुनकर हर रैसलिंग फैन तंग आ चुका है

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आज के दौर की रैसलिंग को देखने वालों को ये इल्म भी नहीं होगा कि आखिरकार पहले के दौर में रैसलिंग किस तरह होती थी। सबसे बड़ी बात ये थी कि आप कभी भी ना तो उनके लॉजिकस और ना ही स्टोरीलाइन को चैलेंज करें।
अगर आप रैसलिंग के मुरीद नहीं हैं तो आप सही मायनों में नहीं जान पाएँगे कि आखिरकार एक रैसलिंग फैन का उत्साह क्या होता है। वैसे तो कई लोग कुछ अजीबोगरीब बातें करते हैं, लेकिन हम आपको बताते हैं उन 10 बातों के बारे में जिनको कोई भी रैसलिंग फैन सुनना पसंद नहीं करता।

वो ख़ून है या कैच-अप?

आपको सुनने में ये चाहे अजीब लगे, लेकिन रैसलर्स के शरीर से निकलने वाला ख़ून वाकई असली है। वो ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास कोई और रास्ता नहीं होता।
अब एक चलते मैच को रोककर वो पीछे तो नहीं जाएँगे ताकि ब्लड जैसा मेकअप कर सकें। इसलिए रैसलर्स अमूमन एक ब्लेड अपने रिस्ट बैंड में रखें रहते हैं, और जब भी मौका मिलता है वो इसका इस्तेमाल करते हैं।

हर कोई ड्रग एडिक्ट है

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ये बात सच में सही है कि एक ज़माने में WWE ही नहीं बल्कि पूरी प्रो-रेसलिंग इंडस्ट्री में ड्रग्स की भरमार थी, लेकिन सब रैसलर्स ड्रग्स लेते हों ऐसा ज़रूरी नहीं हैं।
कुछ रैसलर्स तो शराब और सिगरेट तक नहीं पीते हैं। अब तो रैसलिंग में और खुद WWE में भी ड्रग प्रिवेंशन पालिसी है, जिसकी वजह से अगर कोई ड्रग्स करता हुआ पकड़ा जाता है, तो उसको सस्पेंड कर दिया जाता है।

रैसलर्स सिर्फ पैसे और फेम के लिए आते हैं

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अब अगर आप ट्रिपल एच या जॉन सीना हैं, तो आपको पैसे की कोई किल्लत नहीं होगी, लेकिन कई ऐसे रैसलर्स हैं जिन्हे दो जून रोटी का जुगाड़ करने में भी बड़ी मुश्किल आती है। कई लोग इसलिए रैसलिंग के दिनों में किसी नए बिज़नेस की नींव रख देते हैं, लेकिन सब इतने सौभाग्यशाली नहीं होते हैं।

इसमें काफी वॉयलेंस होती है

Ryback CM Punk
अब अगर कोई ये पूछता है कि रैसलिंग में इतना वॉयलेंस क्यों होता है, तो उनसे पूछिए कि टेर्रेंटीनो की फिल्मों में कितना वॉयलेंस होता है, पर फिर भी लोग उन्हें पसंद करते हैं, लेकिन जब लोग रैसलिंग की बात करते हैं, तो वो इतने सेंटीमेंटल क्यों हो जाते हैं?
अब तो रैसलिंग में एट्टीट्यूड एरा जैसा वॉयलेंस नहीं होता है, फिर भी लोगों को इतनी परेशानी क्यों होती हैं? आखिरकार ये सब स्क्रिप्टेड होता है, और फैंस को ये बात एक्सेप्ट कर लेनी चाहिए।

ये सिर्फ बच्चों के लिए है

Sin Cara
कई लोगों का ये तर्क रहता है कि आखिरकार रैसलिंग में ऐसा क्या है कि हम उसे देखें? अगर आप उनसे ही पूछिए कि जब आप छोटे थे, तब क्यों देखते थे तो वो बोलेंगे कि तब वो बच्चे थे और उन्हें इस वजह से देखना पड़ता था क्योंकि तब वो एंटरटेनिंग लगता था, लेकिन अब नहीं। अगर ऐसा ही है तो फिर पोकेमोन भी कुछ ऐसा ही था, लेकिन वो आज भी इसलिए अच्छा लगता है, क्योंकि उसमें एक किड कॉन्टेंट कोशियन्ट है। बदलते वक्त के साथ WWE ने अपने मैचेज़ में ब्लड कम कर दिया है, और उसको ऐसा रखा है जिसको हर कोई एन्जॉय कर सके। अब ये तो कमाल है ना?

रैसलिंग में सिर्फ मस्कुलर लोग होते हैं

Daniel Bryan
ये आधा सच है। एक दौर में सिर्फ बॉडीबिल्डर ही इस खेल के लिए उपयुक्त माने जाते थे, लेकिन बदलते वक्त के साथ इसकी जगह स्किल्ड रैसलर्स ने ले ली है। वो रैसलर्स जो रिंग में जबरदस्त परफॉर्म कर सकते हैं। यही वजह है कि डेनियल ब्रायन जैसे लोग रैसलमेनिया पर चैंपिनशिप्स और मैचेज़ जीतते हैं। बदलाव सतत है, और हमें इसे स्वीकार करना चाहिए।

WWE आज भी है क्या?

WM
अगर आपसे कोई ये पूछे कि क्या WWE आज भी है तो उसको बताइए कि या तो वो इस दुनिया का नहीं है या फिर वो रैसलिंग की दुनिया से दूर है। आखिरकार रैसलिंग की दुनिया में WWE की क्या महत्ता है, ये जानने के लिए सिर्फ इतना ही काफ़ी है कि रॉक और जॉन सीना के मैच ने 72 मिलियन पे-पर-व्यू बॉयज बनाए थे। कमाल या धमाल? वैसे ये चाहे कुछ भी हो, लेकिन इसका मज़ा तो सिर्फ फैंस और WWE को ही आया।

रैसलर्स असली एथलीट्स नहीं होते

Cesaro
'मैं ना सिर्फ एक एथलीट की तरह सोचता हूँ, बल्कि अपनी प्रैक्टिस भी उनकी तरह ही करता हूँ।' ये कहना था सैथ रॉलिन्स का जब उनसे पूछा गया कि क्या वो एक रैसलर हैं या एथलीट। वो ये मानते हैं कि रैसलर को एथलीट की तरह ऑफ भी नहीं मिलता क्योंकि वो लगातार मेहनत करते रहते हैं, जबतक कि वो चोटिल नहीं हो जाते।

UFC और MMA बेहतर हैं

Brock Lesnar
हाथी और घोड़े में जो फर्क है कुछ वैसा ही फर्क UFC और WWE में है। UFC का मैच कभी 10 सेकण्ड का भी हो सकता है, और कभी लंबा भी चल सकता है, जब तक कि सामनेवाला चित नहीं हो जाता। वहीं दूसरी तरफ WWE स्क्रिप्टेड है, और ये बात खुद मिक फोली भी कह चुकें हैं। अब आप या तो अच्छा शो देखेंगे या सिर्फ़ एक फाइट। आप क्या चुनेंगे?

WWE फेक है

Taker
WWE देखने में भले ही फेक लगे, लेकिन ये असल में फेक नहीं होता। आप जब फ़िल्म को स्क्रीन पर देखते हैं तो ये पाते हैं कि वो भी तो स्क्रिप्टेड होता है, लेकिन उसे बड़े ही चाव से देखते हैं। WWE रैसलर्स साल के 300 दिन परफॉर्म कर रहे होते हैं, और उन्हें हर बार नए वातावरण से दो-चार होना पड़ता है, और हम सब को एंटरटेन करने के लिए उन्हें अपनी बॉडी को कई मुश्किलों से गुजारना पड़ता है। इसके बाद भी अगर हम उनकी मेहनत को ना सराहें तो गलत भला कौन है, वो या हम?
लेखक: रंजीत रवीन्द्रन, अनुवादक: अमित शुक्ला
Edited by Staff Editor
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