3 चैंट्स जो WWE फैंस को लगानी बंद कर देनी चाहिए

प्रोफेशनल रैसलिंग एक ऐसी आर्ट स्पेक्ट्रम है जहां क्राउड का सहयोग बेहद ज़रूरी होता है। हर वो चीज़ जो रैसलर रिंग में करता है उससे ऑडियंस की तरफ से रिएक्शन प्राप्त होना स्वाभाविक है, लेकिन वो कभी-कभी सीमाओं से परे भी जा सकता है। क्राउड भी कभी-कभी प्रोडक्ट का हिस्सा बन जाते हैं, लेकिन इससे फायदा कम और नुकसान होने की सम्भावना ज़्यादा है।अब एक तरफ शिकागो में मनी इन द बैंक 2011 के दौरान सीएम पंक बनाम जॉन सीना वाले मैच में फैंस का जुड़ाव एक अच्छी बात थी, लेकिन इस आर्टिकल में हम उन चैंट्स के बारे में बात करेंगे जो क्राउड को तुरंत बंद कर देनी चाहिए:

#3 परफेक्ट 10 चैंट

अब इसमें कोई दोराय नहीं कि टाय डिलिंजर को परफेक्ट 10 चैंट उन्हें आगे बढ़ावा देने के लिए किया गया था। ये चैंट्स तब और अच्छी लगती हैं जब वो अपने अपोनेंट के चेहरे पर 10 उंगलियां दिखाते हैं, पर क्या ऐसा हमेशा होगा? 2017 में सर्वाइवर सीरीज से महज दो दिन बाद स्मैकडाउन के एपिसोड पर दोनों रैसलर्स रिंग से बाहर थे और रेफरी काउंट कर रहा था, लेकिन फैंस लगातार 10 काउंट कर रहे थे। कहीं उसकी वजह ये तो नहीं कि टाय भी कनाडा से हैं?

#2 सीएम पंक चैंट

सीएम पंक चैंट या तो शिकागो या फिर हार्डकोर रैसलिंग लोकेशंस जैसे कि फिलाडेल्फिया या न्यूऑर्क में अच्छी लगती हैं। ये ज़रूरी नहीं कि अगर फैंस या फैन किसी सेगमेंट या स्टोरी से नाराज़ हो तो वो इस चैंट का इस्तेमाल करें। वैसे इसके स्टेफनी मैकमैहन के शो के शुरुआत वाले सेग्मेंट्स में इस्तेमाल होने से इसके इस्तेमाल में कोई परेशानी नहीं होगी। UFC में उनके हारने के बाद से उनके इस चैंट का इस्तेमाल अच्छा नहीं लगता, क्योंकि रिंग में मौजूद रैसलर सिर्फ अपना काम कर रहा है।

#1 व्हॉट चांट

स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन ने व्हॉट चैंट का इस्तेमाल खुद को अपने प्रतिद्वंदियों के खिलाफ कॉमिकल दिखाने के लिए किया था।इस चैंट का इस्तेमाल तब बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब जब भी कोई रैसलर एक पोज़ लेता है तो क्राउड व्हॉट चांट करने लगती है। एक उदहारण के तौर पर ब्रे वायट के सेग्मेंट्स, जिसमें एक समय पर वो बेहद शक्तिशाली और ईटर ऑफ़ वर्ड्स लगते हैं तो अगले ही पल बेहद कमज़ोर क्योंकि उनके गिमिक का मज़ा ये व्हॉट चांट खराब कर देते हैं। अगर खुद स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन भी फैंस को आकर व्हॉट चांट रोकने के लिए कहें तो फैंस उन्हें भी वही जवाब देंगे। लेखक: अविरल शुक्ला; अनुवादक: अमित शुक्ला