4 सुपरस्टार्स जिन्हें Wrestlemania 34 पर अपने प्रतिद्वंदी नहीं मिले हैं

रैसलमेनिया 34 अब नज़दीक ही है, और रैसलिंग से जुड़ा हर रैसलर ये चाहता है कि उसको ग्रैन्डेस्ट स्टेज पर परफॉर्म करने का मौका मिले। इस समय की कहानियों के आधार पर कुछ रैसलर्स को मौका मिल रहा है, जबकि कई दूसरे एक कहानी के बिना है और पूरे साल दिशाहीन रहे हैं। आज हम ऐसे ही 4 रैसलर्स के बारे में बात करना चाहते हैं जिन्हें रैसलमेनिया 34 पर कोई उचित प्रतिद्वंद्वी नहीं मिला है:

#4 रैंडी ऑर्टन

रैंडी पिछले साल रॉयल रंबल विनर थे और फिर रैसलमेनिया पर उन्होंने ब्रे वायट से टाइटल जीता। इसके बाद जिंदर महल के हाथों उसे हारने की कहानी ने उन्हें एक मूर्ख दिखाया और उसके बाद वो दिशाहीन ही दिखे हैं। वो आकस्मिक आकर किसी भी रैसलर को RKO दे रहे हैं और ऐसा नहीं लगता कि वो किसी बड़े मैच में शरीक होंगे। वो या तो आंद्रे द जायंट मेमोरियल बैटल रॉयल या यूनाइटेड स्टेटस का हिस्सा बनाए जा सकते हैं और उसके बाद फिर से दिशाहीन।

#3 सैथ रॉलिंस

सैथ रॉलिन्स के लिए इस साल कई मौके आए और चले गए। पहले ये निर्धारित था कि सैथ डीन से लड़ेंगे पर वो बाइसेप इंजरी की वजह से बाहर हो गए। उसके बाद जेसन जॉर्डन के साथ कहानी बनी, जिसका अंत रैसलमेनिया 34 पर होना था, पर जेसन भी चोटिल हो गए। इस समय कर्ट एंगल, ब्रॉन स्ट्रोमैन या समोआ जो, सभी अच्छे प्रतिद्वंदी हैं, पर किसी के साथ लड़ने से सैथ को फायदा नहीं हो रहा। अगर कंपनी कर्ट के साथ इनका फिउड कराए तो अच्छा है, क्योंकि उसकी पटकथा एकदम तैयार है।

#2 समोआ जो

समोआ जो ने मेन रॉस्टर डेब्यू के बाद से ही अपना प्रभुत्व दिखाया है। उन्हें अपनी फुट इंजरी से वापस आते ही खुद के लिए अपोनेंट चाहिए होगा, पर रैसलमेनिया 34 की राह में हम उन्हें एकदम अलग-थलग पा रहे हैं। इसकी जगह क्या हो अगर ब्रॉन स्ट्रोमैन उनसे लड़ने के लिए आएं और उन्हें एक अच्छा मैच दें, जिसकी बात आने वाले समय में होती रहे। समोआ को किसी भी मैच में एकदम से डाला जा सकता है या किसी के रिप्लेसमेंट के तौर पर भी शामिल किया जा सकता है पर वो अच्छे से प्रजेंट नहीं हो पाएंगे।

#1 फिन बैलर

ये पहले यूनिवर्सल चैंपियन थे पर उसके बावजूद ये जब से अपनी चोट से वापस आए हैं, इन्हें क्रिएटिव टीम की अनदेखी का सामना करना पड़ा है। इनका ब्रे वायट के साथ फिउड कोई कमाल नहीं कर सका और उसके बाद से ये सिर्फ अज्ञातवास में एक ऐसे रैसलर के तौर पर हैं, जिन्हें सही मौके नहीं दिए जा रहे हैं। लेखक: आबिद खान, अनुवादक: अमित शुक्ला