समरस्लैम पर बेहतरीन इंटरकॉन्टिनेंटल मैचे आयोजित करने की प्रथा रही है। रैसलमेनिया का मुख्य इवेंट बनना किसी भी रैसलर के करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि होती है लेकिन समरस्लैम पर IC चैंपियनशिप के लिए लड़ना ये बताती है कि कंपनी को उनपर भरोसा है। समरस्लैम और IC चैंपियनशिप एक साथ आगे बढ़ते है। समरस्लैम पर इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप के साथ अच्छा प्रदर्शन करने वाला रैसलर भविष्य में कंपनी का वर्ल्ड चैंपियन बनने का हकदार होता है। समरस्लैम 2017 अब दूर नहीं है और इसलिए हम इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप से जुड़ी समरस्लैम के इतिहास के बारे में बात करेंगे।
डॉल्फ ज़िगलर बनाम रे मिस्टीरियो- समरस्लैम 2009
WWE के PG एरा को लेकर काफी आलोचना होती है लेकिन साल 2009 में कई बेहतरीन मैचे देखने मिले जिसमें से काफी समरस्लैम पर हुए। वहां पर इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप के लिए डॉल्फ ज़िगलर की भिड़ंत रे मिस्टीरियो से हुई। जिन दर्शकों को लगता है ज़िगलर का रैसलिंग करियर बर्बाद हो चुका है, ये मैच देखने के बाद उनकी सोच बदल जाएगी। समरस्लैम पर इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप के लिए लड़ना डॉल्फ जिगलर के करियर के लिए बड़ी बात थी। रे मिस्टीरियो जैसे टैलेन्ट से लड़ना उनके लिए बड़ी बात थी और रिंग में दोनों के बीच बेहतरीन केमिस्ट्री देखने मिली। इस मैच के बाद सभी को लगने लगा कि डॉल्फ ज़िगलर भविष्य के स्टार बनेंगे। मैच में मिस्टीरियो की जीत हुई और इसपर कईयों ने सवाल भी खड़े किए लेकिन इस एक्शन से भरे मैच में हमे वही देखने मिला जो हमे चाहिए था।
द रॉक बनाम ट्रिपल एच- समरस्लैम 1998
जब हम 1998 के दौर की बात करते हैं तो उस समय के एक्शन और मैच क्वालिटी के विरुद्ध कहने के लिए हमारे पास कुछ नहीं होता था। इसका सबसे अच्छा उदहारण है समरस्लैम 1998 पर हुआ इंटरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप के लिए ट्रिपल एच और द रॉक के बीच हुआ मैच। जब ऑस्टिन और मैकमैहन मेन इवेंट में लगे हुए थे तब रॉक और हंटर ने मिडकार्ड को संभाला। साल भर उनके बीच फ्यूड होता रहा। इस मैच के समय ट्रिपल एच का साथ देने के लिए DX थी तो वहीं रॉक की मदद के लिए नेशन ऑफ डोमिनेशन थी। इस मैच से सभी को उदहारण मिला कि WWE के मैचे कितने अच्छे बनाए जा सकते हैं। साल के चारों बड़े पे पर व्यू का मकसद बढ़िया स्टोरीलाइन बनाना होता है और IC चैंपियनशिप की मदद से युवा स्टार्स को बड़ा पुश दिया जाता है।
द अल्टीमेट वॉरियर बनाम रिक रुड- समरस्लैम 1989
1980 के दौर में होने वाले मैचों की तुलना आज के मैचे से नहीं कि जा सकती। लेकिन उस समय के मैचेस तकनीकी रूप से काफी अच्छे थे। इसका उदहारण है 1989 के समरस्लैम पर हुआ IC ख़िताबी मैच। उस समय के WWF मैचे को देखते हुए हम कह सकते हैं कि इस मैच को उतनी अहमियत नहीं मिली होगी लेकिन विंस मैकमैहन को पता था कि वॉरियर भविष्य के बड़े स्टार होंगे। हालांकि रिक रुड, द अल्टीमेट वारियर के स्तर के विरोधी नहीं थे लेकिन एक नए रैसलर के लिए वो सही थे। वारियर के साथ उनका मैच अच्छा हुआ और किसी को इसकी उम्मीद नहीं थी।
ब्रेट हार्ट बनाम मिस्टर परफेक्ट- समरस्लैम 1991
न्यू जनरेशन एरा के पहले ही दर्शक समझ गए थे कि यहां कुछ बड़ा होने वाला है। उस समय मेन इवेंट स्टार तो थे ही लेकिन विंस मैकमैहन भविष्य के लिए नए स्टार ढूढं रहे थे। इसकी शुरुआत उन्होंने अच्छे मिडकार्ड रैसलर्स तैयार कर के की। ब्रेट हार्ट कंपनी के टैग टीम डिवीज़न में अच्छा काम कर रहे थे तो वहीं मिस्टर परफेक्ट अपने आप को एक बेहतरीन टैग टीम प्लेयर साबित करने में जुटे हुए थे। ब्रेट हार्ट और मिस्टर परफेक्ट के बीच समरस्लैम पर IC चैंपियनशिप के लिए एक शानदार मैच है। इस मैच को आज भी पुराने दर्शक देखना पसंद करेंगे। इस मैच के बाद इन दोनों स्टार्स के स्तर में बढ़ोतरी हुई और उन्होंने कंपनी की लोकप्रियता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
ब्रेट हार्ट बनाम द ब्रिटिश बुलडॉग- समरस्लैम 1992
ऐसे कई दर्शक हमे मिलते हैं जिन्हें पुराने समय की इंटेरकॉन्टिनेंटल चैंपियनशिप मैच को मिस करते हैं। इसके पीछे उनका कहना भी सही है। आज के मैचेस पहले के मैचों की बराबरी नहीं कर सकते। इसका सबसे अच्छा उदहारण है 1992 के समरस्लैम में ब्रेट हार्ट और द ब्रिटिश बुलडॉग के बीच हुआ IC चैंपियनशिप मैच। मैच इंग्लैंड के वेम्बले स्टेडियम में हुआ और इसकी बिक्री काफी तेज हुए। विदेशी जमीन पर अपना एक बड़ा पे पर व्यू आयोजित करना खतरा हो सकता था, लेकिन जिस तरह ब्रिटिश बुलडॉग को बढ़ाया गया था उसे देखकर ये खतरा उठाया जा सकता था। होम टीम अपने हीरो को जीतते देखना चाहती थी। 70,000 अंग्रजों के बीच हुआ ये मैच सभी ने पसंद किया। इसमें रिंग के उतरे दोनों रैसलर्स के परिवारों के बीच भी भिड़ंत हो गयी। समरस्लैम पर हुए IC ख़िताबी मैचों में ये सब्से ऊपर है। इस मैच को सबसे ऊपर रखने की वजह इसकी स्टोरीलाइन, इसका बिल्ड अप और इसका मुख्य मैच है। लेखक: डेनियल क्रम्प, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी