नए साल की शुरुआत हो गई है। साथ ही प्रो रैसलिंग की दुनिया में भी हलचल बढ़ गई है। साल का पहला पे-पर-व्यू मैच काफी नजदीक पहुंच चुका है। रैसलमेनिया तक के सफर को तय करने के लिए पहला पड़ाव रॉयल रंबल होता है।
रॉयल रंबल में उतरने वाले 30 रैसलरों का एक ही लक्ष्य होता है और वह है रैसलमेनिया में पहुंचना। रैसलिंग की दुनिया के सभी दिग्गज सुपरस्टार्स इस पीपीवी में रैसलमेनिया में एक मौका पाने के लिए ही उतरते हैं। इन सभी की शुरुआत रॉयल रंबल से ही होती है।
रॉयल रंबल में किस नंबर पर कौनसा रैसलर उतर रहा है और वह विजेता बनेगा या नहीं इसका आकलन करना हमेशा ही मुश्किल होता है। हालांकि ज्यादातर मैचों में 27 और 30वें नंबर पर उतरने वाले रैसलर विजयी रहे हैं। इस नंबर पर उतरने वाले रैसलर के जीतने की संभावना एक या दूसरे नंबर पर उतरने वाले से काफी ज्याद होती है।
#5. क्रिस बैन्वा (2004)
2004 का रॉयल रंबल मुकाबला कई कारणों से हमें भुला देना चाहिए। इसका कारण है कि इसे याद करके प्रो रैसलिंग के दर्शकों को सिर्फ दुख ही होगा। हालांकि यह भी सच है कि यह रैसलमेनिया XX की ओर एक बड़ा कदम था। इस मुकाबले के बाद से कई चीजें बदल गईं।
उस रात रॉयल रंबल में क्रिस बैन्वा ने जो प्रदर्शन किया वह लाजवाब था। उन्होंने जीत के लिए रिंग में एक घंटा से अधिक समय बिताया था। वे ऐसे दूसरे व्यक्ति बन गए जिसने नंबर एक पर एंट्री कर विजेता बने। उनकी यह जीत अनोखी थी। इस जीत के बाद तो एक नया रूल भी बन गया।
दरअसल, वह स्मैकडाउनन के सदस्य थे और अगली रात उन्हें रॉ में विश्व हैवीवेट चैंपियनशिप के लिए चुनौती पेश करते देखा गया। इसके बाद यह नियम बन गया कि जो भी रॉयल रंबल जीतेगा वह किसी भी शो में चुनौती पेश कर सकता है।