गोल्डबर्ग का फास्टलेन पर ना जीतने का ये सबसे बड़ा कारण है। आगे जाकर रैसलमेनिया 33 पर गोल्डबर्ग का सामना ब्रॉक लैसनर से होने वाला है। ये मैच अपने आप में बहुत बड़ा मैच है और इसमें किसी ख़िताब के होने या ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्या लैसनर उस रैसलर से बदला ले पाएंगे, जो करियर के पूरे समय उनपर हावी रहे ? या फिर वापस हमे गोल्डबर्ग का दबदबा देखने मिलेगा ? रैसलमेनिया के मैच पर इन सवालों का जवाब मिलना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। 2 अप्रैल को उनके म्यूजिक बजते ही दर्शकों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। इस भिड़ंत को किसी ख़िताब के साथ चिपकाने की ज़रूरत नहीं है। इसमें यूनिवर्सल टाइटल जोड़कर कुछ ज्यादा फायदा नहीं होगा। रॉ का सबसे बड़ा ख़िताब इन दोनों इकठ्ठा हुए दिग्गज रैसलर्स के सामने छोटा है। इसके उल्ट ख़िताब को वहां इस्तेमाल किया जाना चाहिए जहां उसकी अहमियत और ज़रूरत है। जैसे क्रिस जैरिको और केविन ओवन्स के फ्यूड में। लेखक: ब्रैंडन कार्नी, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी