#4 1954 में 26 साल की उम्र में नेशनल रेसलिंग चैंपियन बने थे
ये कीर्तिमान हर किसी के हिस्से नहीं आता कोई कोई कितना भी प्रयास कर ले रिंग में उनके जैसा अब दूसरा नहीं आता। दारा सिंह जी के दांव पेंच इतने ताकतवर होते थे कि विरोधी का उनसे बचकर निकल पाना संभव नहीं था। दारा सिंह जी ने अपने करियर में 500 मैच लड़े और उनके विरोधी उन्हें किसी में भी हरा नहीं पाए।
1954 के दौर में इन्होंने वो कर दिखाया जो उनकी उम्र में कोई नहीं कर पाया है। वो महज 26 साल के थे जब वो नेशनल रेसलिंग चैंपियन बने थे। देश का सर फक्र से हमेशा ऊँचा करने वाले दारा सिंह जी ने एक ऐसा काम किया था जिसकी मिसाल आज भी रेसलिंग, कुश्ती, पहलवानी में दी जाती है।
#3 1959 में इन्होंने किंग कॉन्ग, जॉर्ज गॉर्दिएंको और जॉन डिसिल्वा को हराकर कामनवेल्थ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था
नेशनल चैंपियन तो ये पाँच साल पहले बन चुके थे लेकिन अब भी वो और बेहतर करना चाहते थे। इसी प्रयास में उन्होंने कामनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया। उन दिनों किंग कॉन्ग का नाम बहुत प्रसिद्ध था और अगर आप अपने घर में किसी बड़े बुजुर्ग से इसके बारे में पूछेंगे तो वो ये बताएंगे कि किंग कॉन्ग को दुनियाभर में काफी मान प्राप्त था।
दारा सिंह जी से शायद उनका मुकाबला तब तक नहीं हुआ था। दारा जी के साथ मैच लड़ते ही किंग कॉन्ग का ये घमंड भी टूट गया कि वो सबसे अच्छे पहलवान हैं। दारा जी ने इन्हें तो चारों खाने चित किया ही लेकिन साथ ही जॉर्ज गॉर्दिएंको और जॉन डिसिल्वा को हराकर कामनवेल्थ चैंपियन का खिताब अपने नाम किया था।