अगर आप आज के औसत मैचों की तुलना एटिट्यूड एरा के औसत मैचों से करेंगे तो आपको रैसलिंग स्तर का फर्क दिखाई देगा। उस समय के रॉ मैचेस छोटे, ख़राब या फिर दोनों हुआ करते थे। ऊपर से इसमें रैसलर्स बिना मतलब के बीच में दखल दिया करते थे, जिनका मुकाबले से कोई लेना-देना नहीं था। इसमें कोई चौंकानेवाली बात नहीं है जब विंस रुस्सो, जो एटीट्यूड एरा के अधितकर मैच बुक किया करते, उन्होंने प्रोफेशनल रैसलिंग शो में कभी रैसलिंग को अहमियत नहीं दी। ये बात भी हमे माननी होगी की ज्यादातर रैसलर्स काबिल नहीं थे, लेकिन कार क्रैश और करिज्मा के कारण आगे बढे।
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