ज़रा सोचिए आप एक ऐसे कंपनी के मालिक हैं जिसके दर्शक सबके सामने अपना विचार रखते हैं। आप ऐसा निर्णय लेना पसंद करेंगे जिससे आपको मुनाफा भी हो और दर्शक भी खुश रहें। हर बार ऐसा नहीं हो सकता कि जो आपको चाहिए, केवल वो ही आपको मिले। लेकिन फिर आप एक ऐसा निर्णय लेते हैं जिसका सभी दर्शक मिलकर विरोध करते हैं और आपके उस निर्णय पर नाराज़गी जताते हैं। ऐसे में आप क्या करेंगे? (A) आप अपनी गलती समझकर उसे सुधारने की कोशिश करेंगे? या फिर आप (B) आप जो करते आएं हैं वहीँ करेंगे और फिर नाराज़ दर्शकों को मनाने के लिए वापस कोई नया रास्ता ढूंढेंगे? अगर आपने पहले विकल्प चुना है तो आप समझदार इंसान हैं जो जनता है कि दुनिया भर में उनके करोड़ो दर्शक हैं और उन्हें नाराज़ करने से भारी नुकसान होगा। अगर आपने दूसरा विकल्प चुना है तो शायद आपका नाम विंस मैकमैहन हैं। सालों से WWE ऐसे कई फैसले लेते आई है जिससे दर्शकों का एक बड़ा खेमा नाराज़ हुआ है। इसका उदाहरण है रैसलमेनिया 32 की बुकिंग जिसमे से अधिकतर मैचों का वजूद क्या था वो समझ नहीं आया और दर्शक इसे लेकर नाराज़ हुए। MITB मुकाबले में जैक राइडर को विजेता बनाया गया जबकि यहाँ पर जीतने के हकदार केविन ओवन्स या सेमी जेन थे क्योंकि उनके बीच काफी लम्बे समय से फिउड चल रहा था और ऐसा निर्णय थोड़ा समझदारी का लगता। WWE के दिग्गज क्रिस जेरिको जिन्हें पूरा WWE यूनिवर्स पसंद करता है उन्हें जीत की ज़रूरत नहीं थी, बल्कि उनके खिलाफ नए आएं एजे स्टाइल्स को जीत की सख्त जरूरत थी। लेकिन रैसलमेनिया पर जीत जेरिको को नसीब हुई। दर्शकों की लोकप्रिय टैग टीम द न्यू डे को भी द लीग ऑफ़ नेशन्स (जिन्हें कोई पसंद नहीं करता और सभी उन्हें हमेशा बू करते हैं) के हाथों हार झेलनी पड़ी। डीन एम्ब्रोज़ को भी अपना बचा कुचा मोमेंटम बनाए रखने के लिए मेनिया पर जीत की सख्त जरूरत थी, लेकिन उनकी बुकिंग भी ब्रॉक लैसनर के हाथों की गयी जिसमें उन्हें हार मिली। अगर WWE लगातार ऐसे ही बुकिंग करती रही तो नए दर्शक उनसे दूर होंगे ही, इसके साथ-साथ इसके खास दर्शक जो सालों से कंपनी से जुड़े हुए हैं वे भी चिंतित होंगे।