इस समय के वैलनेस पॉलिसी में कई लूपहोल है जिनकी मदद से रैसलर्स इस पॉलिसी से बच निकलते हैं। विंस ने कई बार इस ड्रग्स के सेवन को माना किया गया है और पिछले कुछ सालों में इसमें सख्ती बढ़ गयी है। भले ही अगर टैलेंट्स को उनके डॉक्टर ने ड्रग्स के सेवन की मंजूरी दी हो, लेकिन उसके इस्तेमाल के पहले उन्हें WWE के डॉक्टर की इजाजत लेनी होगी। हालांकि इनका पता लगाना मुश्किल है क्योंकि बाजार में कई तरह की दाइयां मौजूद है। इसके बारे में हार्डकोर होली ने अपनी किताब में लिखा: "साल 2008 में हम बेकर्सफील्ड, कैलिफोर्निया में थे और मुझे दर्द की दवाई लेनी थी और शायद मेरे कंधे पर सर्जरी की ज़रूरत थी। इसलिए मैंने केनेडी से पूछा कि क्या आपके पास कुछ है, तो उन्होंने कहा बिल्कुल है। उन्होंने बाद में मुझसे पूछ कि मुझे कुछ और चाहिए तो मैं खुद ले लू। ये आम बात थी। कई बार मैं उनके पास गया और अपनी बात राखी तो उन्होंने कहा, "खुद ले लो।" लॉकर रूम में सब एक दूसरे की मदद करते हैं। यहाँ ऐसा ही होता है और WWE इसे हमेशा अनदेखा कर देती है।" शारीरिक शक्ति बढ़ाने वाले ड्रग भी WWE की वैलनेस पॉलिसी एक समस्या है। सोमेट्रोपिन और गोनाडोट्रोपिन की जांच यूरिन सैंपल में नहीं होती लेकिन केवल खून की जांच में होती है। ऐसे और भी कई पदार्थ है जिनकी जांच नहीं हो पाती लेकिन मैं उनका नाम बता कर आपको और नहीं उबाउंगा। WWE की वैलनेस पॉलिसी की तीन बड़ी समस्या है कि बढ़ा हुआ टेस्टोस्टेरोन स्तर, घायल खिलाडियों की जांच नहीं होती और फुल टाइम रैसलर्स की जांच होती है। लेखक: प्रत्यय घोष, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी