प्रोफेशनल रैसलिंग फैंस के लिए ये हफ्ता काफी अच्छा रहा था। इसकी शुरुआत NXT टेकओवर: फिलाडेल्फिया से हुई जिसने बेंचमार्क सेट किया। इसके बाद NJPW शो हुआ जो एक बेहद कमाल का शो था।
इसके बाद WWE के कंधों पर रॉयल रम्बल को लेकर बड़ी चुनौती थी और बेहद खुशी की बात ये है कि WWE हम सभी की उम्मीदों पर खरी उतरी। पिछले कुछ समय से ये WWE द्वारा पेश किया गया सबसे अच्छे पीपीवी में से एक है।
इस हफ्ते के शो में हमें ज्यादा अच्छी बातें देखने मिली। यहां पर हम इस हफ्ते के शो की अच्छी और बुरी बातों के बारे में बात करेंगे।
#1 अच्छी बात: यादगार शो
ये एक ऐतिहासिक रात थी। खासकर के महिलाओं के लिए। जिन्होंने आज की महिलाओं के लिए राह तैयार की उन्हें इस खास लम्हें का हिस्सा बनने का मौका मिला। ट्रिश स्ट्रेटस, बैथ फीनिक्स, लीटा, जैकलिन जैसी कई स्टार्स महिलाओं के पहले रॉयल रम्बल का हिस्सा बनीं।
रम्बल मैच में नाया जैक्स और बै फीनिक्स की भिड़ंत देखने लायक थी। इसके अलावा पुरुषों के मैच में हरिकेन और रे मिस्टीरियो जैसे सुपरस्टार्स को वापसी करते देख खुशी हुई। आखिर इन्हीं सुपरस्टार्स को देखते हुए आज के कई प्रशंसक बड़े हुए हैं।
रॉयल रम्बल की दूसरी अच्छी बात ये थी कि वहां पर हिस्सा लेने वाले लेजेंड्स ने उसे नहीं जीता। कई तरह से उन्होंने मैच में अहम भूमिका निभाई और नए स्टार्स के बनने में उनका बड़ा हाथ रहा। ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या रे मिस्टीरियो को वापस बुलाकर क्रूज़रवेट डिवीज़न को मजबूत किया जा सकता है?
#1 बुरी बात: संभावित नतीजे
रैसलमेनिया 34 के लिए रोमन रेंस और ब्रॉक लैसनर के बीच यूनिवर्सल चैंपियनशिप मैच लगभग पक्का है। इसके कारण रॉयल रम्बल पर होने वाले ट्रिपल थ्रेट मैच के नतीजे का सभी को अनुमान था। मैच मजेदार था लेकिन हमें एक नया चैंपियन नहीं मिला।
यहां पर जीत ब्रॉन स्ट्रोमैन की होनी चाहिए थी। स्ट्रोमैन फुल टाइम रैसलर हैं और उन्हें WWE यूनिवर्स द्वारा सबसे जोरदार समर्थन मिलता है। रैसलमेनिया 34 के लिए स्ट्रोमैन बनाम लैसनर का मैच बुरा विकल्प नहीं है, लेकिन रम्बल पर स्ट्रोमैन की जीत से उन्हें बड़ा पुश दिया जा सकता था।
#2 अच्छी बात: रोंडा राउज़ी
जिस अंदाज में रोंडा राउज़ी ने WWE में दस्तक दी उसे देख हम सभी खुश हैं। रोंडा राउज़ी को रम्बल मैच में 30वें स्थान में एंट्री न करते देख कइयों को बुरा लगा लेकिन फिर उस स्थान पर ट्रिश स्ट्रेटस को देखकर सब ठीक हो गया।
जब असुका महिलाओं का रॉयल रम्बल जीत गईं, तब रोंडा ने एंट्री की और उन्होंने रोडी पाइपर का गियर पहना था, जिसमें उनकी जैकेट शामिल थी। रोंडा काफी लम्बे समय से रैसलिंग की दुनिया मे अपना नाम बना रही हैं और उन्हें "रोंडा" ये नाम पाइपर ने ही दिया।
रोंडा ने जिस अंदाज में एंट्री की और आते ही रैसलमेनिया की ओर इशारा किया वो लम्हा बेहद खास था।
#2 बुरी बात: बॉबी रुड के प्रतिद्वंदी
एक बेहतरीन और कामयाब रॉयल रम्बल शो के बाद शायद ही कोई पीपीवी के किक ऑफ शो को याद रखेगा। किक ऑफ शो को लेकर सभी से एक बड़ी शिकायत सुनाई दे रही है।
बॉबी रुड के यूनाइटेड स्टेट्स टाइटल ओपन चैलेंज का चुनौती देने मोजो राउली रिंग में उतरे। यहां पर हम डॉल्फ ज़िगलर के आने की उम्मीद कर रहे थे।
हालांकि ज़िगलर ने रम्बल मैच में एंट्री की और उन्हें जोरदार प्रतिक्रिया भी मिली लेकिन ये सब जल्द ही शांत हो गया। अगर वो US टाइटल ओपन चैलेंज का हिस्सा होते तो ज्यादा अच्छा होता।
#3 अच्छी बात: दर्शकों की इच्छा पूरी करना
रॉयल रम्बल के पहले सभी शिंस्के नाकामुरा और असुका को जीतते हुए देखना चाहते थे और खुशी की बात ये है कि WWE ने दर्शकों की मांग यहां पर पूरी की। रम्बल मैच के अंत मे नाकामुरा और असुका की जीत से WWE यूनिवर्स की इच्छा पूरी हुई।
अब शायद हमे रैसलमेनिया 34 पर एजे स्टाइल्स बनाम शिंस्के नाकामुरा के बीच ड्रीम मैच देखने मिल सकता है। वहीं दर्शक असुका, क्लासिक के लिए भी तैयार हैं।
#3 बुरी बात: गलत जगह मैच को रखना
शो के बीच मे पुरुषों के रॉयल रम्बल को होते देख थोड़ी हैरानी हुई। 28 बार गिनती कर के और नाकामुरा के जीत का जश्न मानकर दर्शक थक गए थे। जिसकी वजह से रम्बल के बाद हुए मैच को बड़ा नुकसान हुआ। इसमें सैथ रॉलिंस और जेसन जॉर्डन बनाम शेमस और सिजेरो का रॉ टैग टीम चैंपियनशिप मैच भी शामिल है।
वहीं अपने जन्मदिन पर शेमस को टैग टीम ख़िताब जीतते हुए देख सभी को खुशी हुई। यहां ये एक अच्छी बात रही।
#4 अच्छी और बुरी बात: द उसोज़ बनाम बेंजामिन और गैबल
किसी भी 2 आउट ऑफ थ्री फॉल मैच का अंत तीसरे राउंड में निर्धारित होता है। दोनों टीमें एक-एक राउंड जीतकर तीसरा लड़ने उतरती है। लेकिन यहां पर द उसोज़ ने पहले दो राउंड जीतकर अपना ख़िताब बचा लिया।
यहां पर WWE के पास समय की कमी थी या फिर वो कोई और योजना बना रहे थे ये देखने वाली बात है क्योंकि इस मैच को मजेदार बनाने के लिए उन्हें इसे तीसरे राउंड तक लेकर जाना चाहिए था।
लेखक: रिजु डासगुप्ता, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी