दारा सिंह एक ऐसा नाम है, जिसे देश का बच्चा-बच्चा जानता है। रैसलिंग के इस सरताज ने अपनी काबिलियत से भारत का नाम बुलंदियों तक पहुंचाया और खुद को देश के सबसे बड़े पहलवानों में शामिल कराया। आज भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि WWE जैसी दुनिया की सबसे बड़ी प्रोफेशनल रैसलिंग कंपनी ने देश के सपूत को हॉल ऑफ फेम की लैगेसी विंग में शामिल किया है। रैसलिंग बिजनेस में दारा सिंह के योगदान के लिए उन्हें इस बेहद खास सम्मान से नवाजा गया है।
देश में '56 इंच का सीना' को जुमले की तरह राजनीतिक पार्टियों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आप इस जुमलेबाज़ी में ना पड़िए, असलियत में दारा सिंह की लंबाई 6 फुट 2 इंच और सीना 53 इंच और वजन करीब 130 किलो था। आप सोच सकते हैं कि 53 इंच का सीना कितना बड़ा लगता होगा।
रुस्तम-ए-हिंद के नाम से मशहूर दारा सिंह का जन्म पंजाब के अमृतसर में 19 नवंबर 1928 को हुआ था। तगड़ी कद काठी होने की वजह से उन्होंने पहलवानी की ओर रुख किया। दारा सिंह ने अपने रैसलिंग करियर में दुनिया भर के बड़े-बड़े रैसलरों को धूल चटाई है। वो 500 से ज्यादा मैच लड़े और सभी में उन्हें जीत हासिल हुई। साल 1954 दारा जी के करियर का सबसे बेहतरीन साल साबित हुआ। उन्होंने रुस्तम-ए-हिंद टूर्नामेंट में जीत हासिल की और पूरे देश की नजरों में आ गए।
1954 के 5 साल बाद हुए एक बड़े मैच ने दारा सिंह को रातों-रात दुनिया का एक बड़ा रैसलर बना दिया। साल 1959 में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप के मैच में दारा सिंह का सामना 200 किलो वजनी ऑस्ट्रेलियाई रैसलर किंग कॉन्ग के साथ हुआ। दोनों रैसलरों के वजन में 60-70 किलो का अंतर था। माना जा रहा था कि किंग कॉन्ग से पार पाना दारा सिंह के लिए आसान नहीं होगा। लेकिन दारा सिंह ने शानदार रैसलिंग करते हुए किंग कॉन्ग को मात दी और बाद में जॉर्ज गॉर्डिंको को हराकर कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीता। किंग कॉन्ग के साथ हुए मैच को दारा सिंह के करियर के सबसे अच्छे मैचों में से एक माना जाता है।