समरस्लैम साल का दूसरा सबसे बड़ा पेपरव्यू होता है। इस बार के समरस्लैम का 29 संस्करण बार्कलेज सेंटर, ब्रुकलीन, न्यूयॉर्क में आयोजित किया गया। हालांकि शो की जोरदार शुरुआत हुई (A+ NXT टेकओवर के कारण), इसमें कुछ मैचों के सही नतीजे नहीं निकले, यहाँ पर विवाद भरा रहा और कई बेकार के मुकाबले हुए। शो के अंत में हुए खून खराबे से हमे ये मालुम हुआ की शो किस हद तक जा सकता है।
लेकिन यहाँ पर कई अच्छी बातें भी हुई। हम यहाँ और समरस्लैम 2016 की कुछ अच्छी और ख़राब बातें पर चर्चा करते हैं।
अच्छी बात
WWE के भविष्य को मिला नया चैंपियन
हालाँकि रॉलिन्स बनाम बैलर को यूनिवर्सल चैंपियनशिप के लिए हुए फिउड को ज़िगलर-एम्ब्रोज़ के फिउड जितनी अहमियत नहीं मिली थी, लेकिन जब रिंग में अपनी काबिलियत दिखाने की बात आई तो रॉ के प्रतियोगियों ने स्मैकडाउन के प्रतियोगियों को पछाड़ दिया। बैलर की एंट्री शानदार थी, मैच कमाल का था और इसके अंत ने सभी को खुश कर दिया।
बैलर का किरदार कमाल का है और दर्शकों को ये बहुत पसंद आया है। इससे एक बात को साफ़ हो गयी की वें भविष्य में कंपनी का नाम आगे बढ़ाएंगे।
ऐजे स्टाइल्स और जॉन सीना ने शो में चार चांद लगाए
हमे पता था कि ये शो कमाल करेगा, लेकिन इस मैच ने तो पूरे शो की चमक छीन ली। इस मैच में दर्शकों का उत्साह इतना था कि इसके बाद के मैच कार्ड तक सभी थक गए। विश्व के दो बेहतरीन रैसलर्स ने इस मुकाबले में हिस्सा लिया और सदियों तक याद रखा जाये, ऐसा शो दिया।
इस मैच में सबसे कमाल की बात रही, जॉन सीना पर ऐजे स्टाइल्स की जीत। सच कहें तो इसके बाद के किसी भी मैच का स्तर इस मैच की तरह नहीं था। इससे शो को नुकसान हुआ।
शार्लेट और शाशा बैंक्स के बीच यादगार भिड़ंत
जी नहीं, हम इस नतीजे से ज्यादा खुश नहीं है। भले ही शाशा बैंक्स की यहाँ पर हार हुई जिसके कारण उन्हें ख़िताब गवांना पड़ा। लेकिन इसे ज़रिये उनकी वापसी हुई, क्योंकि महीने भर से वें लाइव इवेंट से दूर थी। उम्मीद करते है कि ये WWE की वैलनेस पालिसी का उल्लंघन नहीं है।
शार्लेट और शाशा बैंक्स दोनों ने मिलकर विमेंस एवोलुशन को आगे बढ़ाया और कमाल का मैच दिया। पूरा स्टेडियम दर्शकों की "दिस इस ऑसम" की चैंट से गूँज उठा। ये दोनों आज की लिटा और ट्रिश स्ट्रेटस हैं।
ब्रॉक लैसनर हावी दिखे
हमे मालुम है कि इस तरह के मैच की किसी को उम्मीद नहीं थी। लेकिन यहाँ पर ये बात पता चली की आज भी कंपनी के बीस्ट, ब्रॉक लैसनर सबसे हावी रैसलर हैं। ज़रा सोचिए उन्होंने WWE के एक बड़े स्टार की महज़ कुछ मिनटों ने तबाह कर दिया। के सोचने वाली बात है कि ब्रॉक की इस सिंहासन से कौन उतरेगा? बिग कैस? सामोआ जो? ब्रौन स्ट्रोमैन?
ख़राब बात
जी हाँ, शो में एक से ज्यादा कई ख़राब लम्हे थे। यहाँ पर हम उनके बारे में ही चर्चा करेंगे।
यूनिवर्सल चैंपियन
WWE के यूनिवर्सल दिखने में शेमस से भी खराब दिखाई दे रहे थे। इतना की उन्हें दर्शकों की नाराजगी झेलनी पड़ी। ऐसा लगा की वें अभी-अभी केन की बॉडी सूट से निकले हैं। लेकिन शो में बस इतना ही ख़राब नहीं था।
दो बड़े मैचों के नतीजे नहीं निकले
शो के आखिरी दो मैच बिल्कुक फीके रहे। न तो रुसेव बनाम रोमन और न ही ब्रोक लैसनर बनाम रैंडी ऑर्टन के मैच का नतीजा निकला। मुझे लगता है कि बार्कलेज के स्टेडियम में मौजूद दर्शक और टीवी पर देख रहे सैकड़ों दर्शक को इससे अधिक की उम्मीद थी।
अच्छी शुरुआत के बाद हमे ऐसे ख़राब अंत की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी।
6 महिलाओं का टैग टीम मैच
मंडे नाईट रॉ की महिला रैसलर्स की तुलना में स्मैकडाउन रॉस्टर की महिलाओं का मैच कुछ खास नहीं रहा। ये मैच बिल्कुक ठंडा था और यहाँ और मेरे हिसाब से यहाँ पर निक्की बेला की वापसी से शो का स्तर और नीचे गिर गया। इस मैच को प्री शो पर होना चाहिए था और इसकी जगह सिजेरो-शेमस के बीच बेस्ट ऑफ़ 7 सीरीज मैच को जगह मिलनी चाहिए थी।
जॉन स्टीवर्ट
हमें पता है मुख्य सितारों को WWE से कितना लगाव है, लेकिन WWE के दर्शक जॉन स्टीवर्ट को इतना पसंद नहीं करते। पिछले साल उन्होंने समरस्लैम में दखल दिया था जिसकी वजह से जॉन सीना को उनका 16 वां ख़िताब गवांना पड़ा था। इस साल उनके कारण द क्लब को उनका टैग टीम चैंपियनशिप का ख़िताब नहीं मिला।
मुझे लगता है कि द क्लब एक नई टीम है और टैग टीम चैंपियन बनकर वें अच्छी शुरुआत करते। इसलिए जॉन स्टीवर्ट को WWE से दूर रखिये।
किसी ने दखल देकर चौंकाया नहीं
लैसनर और ऑर्टन के खून खराबे के बाद दर्शक "गोल्डबर्ग" की चैंट करने लगे। लेकिन वें नहीं आएं। ना ही कोई वयात आया। जहाँ पर जॉन स्टीवर्ट आ जाएं, उस शो को तो फीका पड़ना ही था।
अंत में: समरस्लैम के शो में कुछ अच्छी बातें थी और कुछ ख़राब बातें भी थी। मेरे ख्याल से जॉन सीना बनाम ऐजे स्टाइल्स के मैच की ऊपर किया जाता तो और अच्छा होता। इस शो को हम 6.5/10, अंक देते है, वो भी केवल लाना के कारण।
लेखक: रिजीजू डासगुप्ता, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी