भारतीय मूल के कैनेडियन प्रोफेशनल रैसलर युवराज सिंह धेसी , जिनका रैसलिंग नाम जिंदर महल है ने हाल ही में प्रोफेशनल रैसलिंग के सबसे बड़े बेल्ट WWE चैंपियनशिप को 14 बार के चैंपियन रैंडी ऑर्टन को बैकलैश पीपीवी में हराकर अपने नाम की थी। जैसे ही जिंदर ने चैंपियनशिप जीती सोशल मीडिया में उनके लिए बधाइयों का तांता लग गया। WWE के भारतीय फैंस ने चारों ओर से अपने मैसेज भेजे कि 'उनके अपने' जिंदर महल ने चैंपियनशिप जीती है। सभी को जिंदर के जीतने की बेहद ख़ुशी थी। जिंदर अब प्रोफेशनल रैसलिंग के सबसे मजबूत और ग्रेटस्ट रैसलर बन गए हैं। लेकिन भारतीय फैंस द्वारा जिंदर की तारीफ किए जाने पर इंटरनेट की रेसलिंग कम्युनिटीज ने तरह-तरह के सवाल किए। क्या ये लोग नहीं जानते कि रेसलिंग झूठा होता है ? क्या इन्हे पता है कि यह सब स्क्रिप्टेड है ? यह सिर्फ स्टोरीलाइन है। भारत में प्रोफेशनल रैसलिंग को 1995 से टेलीकास्ट किया जा रहा है। स्पोर्ट्स चैनल, 'स्टार स्पोर्ट्स' सबसे पहला चैनेल था, जिसने WWE की रैसलिंग प्रोग्रामिंग भारत में लायी। फिर अलग-अलग चैनेल्स में टेलीकास्ट होते गए, लेकिन रैसलिंग की पॉपुलैरिटी भारत में बढ़ती ही गई। अंडरटेकर, ब्रॉक लैसनर, केन, हल्क होगन, द रॉक, स्टोन कोल्ड स्टीव ऑस्टिन, जॉन सीना, बतिस्ता, ट्रिपल एच जैसे सभी रैसलर्स से सभी भारतीय वाकिफ हैं। इन सुपरस्टर्स की पॉपलैरिटी हॉलीवुड के स्टार्स से भी ज्यादा है और शायद बॉलीवुड सुपरस्टार्स के बराबर। लेकिन क्या भारतीय फैंस को लगता है कि प्रोफेशनल रैसलिंग सच में होती है ? केफैब का कॉन्सेप्ट शायद भारत में उतना अच्छे से नहीं समझा जाता, जितना वेस्ट में समझा जाता है। हालांकि इंटरनेट और टेक्नोलॉजी के आने से काफी फैंस को इसका अंदाज़ा हो गया है कि WWE स्क्रिप्टेड रैसलिंग हैं, जो हमें अपने करैक्टर, पावर और अपनी स्टोरीलाइन से जोड़कर रखता है। द ग्रेट खली जैसे रैसलर्स ने कई बार नेशनल टीवी पर WWE के बारे में कई नाटकीय चीज़ों को बताया है, जिससे फैंस को रियलिटी का सामना करना पड़ा है। न्यूज़ चैनेल भी WWE के झूठे होने के कई स्पेशल्स एक्सपोसिंग स्टोरी चला चुके हैं। लेकिन ऐसा क्या है कि भारत में अभी भी इतने जूनून से WWE को लोग फॉलो करते हैं? इसका उत्तर भारत की दैनिक दिनचर्या से आता है। भारत विश्व का जनसंख्या के अनुसार दूसरा सबसे बड़ा देश है। जहां मौके काफी कम है और ज्यादातर भारतीय ड्रीम्स के ऊपर स्टेबिलिटी की तलाश में होते हैं। वे रोज़ रिएलिटी का सामना करते हैं और काफी कम से ही खुश हो जाते हैं या खुद को संतुष्ट कर लेते हैं। उनका एकमात्र लक्ष्य अपनी फैमिली की देखभाल करना और घर चलाने के लिए पैसे कमाने का होता है। ज्यादातर लोग अपने जीवन में सफल नहीं हो पाते हैं और उनके पास अपनी लाइफ में ऐसी कम ही चीज़ें होती हैं जो उन्हें ख़ुशी दे सकें। इसलिए भारतीय फैंस ऐसे एंटरटेनमेंट की तलाश में होते हैं, जो उनके जीवन से न जुडी हो और वे बस मज़े के लिए उसे देख सकें। चाहे वह क्रिकेट हो या बॉलीवुड या टेलीविज़न। इसमें हमेशा ऐसी चीज़ें दिखाई जाती हैं जो एक आम आदमी को सफल होते हुए, एन्जॉय करते हुए दिखाती है। ऐसी चीज़ें जो भारत की अधिकतम लोग कभी हासिल नहीं कर सकते। यहां पर WWE अहम् रोल निभाता है। WWE भारत की आम जनता के लिए शारीरिक ताकत की जंग है, जहां रैसलर्स अपनी काबिलियत रिंग में दिखाते हैं और स्टोरीलाइन से ड्रामा क्रिएट करती है और दिलचस्पी बढाती है। यह भारतीय फैंस के एंटरटेनमेंट का परफेक्ट मिश्रण है। शारीरिक क्षमता, लार्जर दैन लाइफ पर्सनालिटी और जीत की ख़ुशी यह सब ऐसी चीज़े हैं जो भारतीय फैंस अपनी खुद की लाइफ में हासिल नहीं कर पाते। फैक्ट्स को भूल जाना, रिएलिटी में नहीं रहना, यह सब भारतीयों को नैचुरली आता है। भारत में जीवन वेस्टर्न देशों से काफी मुश्किल है। WWE यूनिवर्स के लिए यह बात समझना काफी मुश्किल हो सकता है लेकिन भारतीयों जैसी रोज़ाना बोरिंग ज़िन्दगी जीने के लिए काफी दृढ़ता और धैर्य की जरुरत होती है। वे ऐसा सिर्फ अपने और अपने फैमिली के खातिर करने को मजबूर होते हैं। इसलिए वे अपनी दैनिक जीवन के दर्द को भुलाने के लिए किसी दूसरे की जीत को अपना समझते हैं और उसे सेलिब्रेट करते हैं। अगर एक भारतीय फैन सुबह उठता है और अपनी लाइफ में जिम्मेदारी, उम्मीदें, सोसाइटी के दबाव और रियलिटी को रोज़ झेलता है तो रिलेक्स करने के लिए उसके लिए प्रोफेशनल रैसलिंग के फैक्ट्स को न मानना काफी आसान हो जाता है। जिंदर महल की भारत में जीत इसलिए सेलिब्रेट नहीं की जा रही है क्योंकि सभी सोचते हैं कि वे विश्व के बेस्ट प्रोफेशनल रैसलर हैं या कोई भगवान है। उनकी जीत इसलिए सेलिब्रेट की जाती है क्योंकि सभी भारतीय उनकी जीत में अपनी जीत देखते हैं। महल भारतियों के ड्रीम्स को री-प्रेजेंट करते हैं। वे हम में से एक हैं, जो सब दबाव के बावजूद अपना ड्रीम जी रहे हैं और सभी चुनौतियों का सामना कर वर्ल्ड चैंपियन बन रहे हैं। भारतीय फैंस जानते हैं कि रैसलिंग प्रोफेशनल है। लेकिन वे काफी इमोशनल हैं और यही चीज़ उन्हें अलग बनती है। वे जिंदर की जीत में अपनी जीत देखते हैं और उसे अपनी ख़ुशी की तरह सेलिब्रेट करते हैं। ऐसा नहीं है कि वे सोचते हैं कि रैसलिंग स्क्रिप्टेड नहीं होती या वे अंधविश्वास को मानते हैं। इसलिए अगर आप उन लोगों में से हैं जिन्हें भारतीयों के जिंदर महल की जीत को सेलिब्रेट करने से परेशानी है, तो आपको खुद पर नज़र डालनी होगी, क्योंकि आपके पास किसी दूसरे के WWE चैंपियनशिप जीतने से ज्यादा बड़े इशू हैं। लेखक : दुष्यंत दुबे, अनुवादक : मनु मिश्रा