प्रोफेशनल रेसलिंग को लेकर हमेशा ही कई सवाल उठते रहे हैं। कई बार इसे फेक या फिर फिक्स कहा गया, खासकर वो लोग जो WWE को पसंद नहीं करते। एक चीज़ जो लोग नहीं समझते वो है कि यह रेसलिंग से बहुत ज्यादा है।
रेसलिंग एक कला है और इसमें जो एक्शन होता है, उसमें कोई भी रीटेक नहीं होता। इस आर्टिकल में फैंस प्रोफेशनल रैसलिंग के बारे में बारीकी से चीजों को समझ सकते हैं।
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1- क्या WWE में हथियार का इस्तेमाल करना लीगल है?
हथियार हमेशा से ही रेसलिंग का अहम हिस्सा रहे हैं। सबसे पहले इसका इस्तेमाल एक्सट्रीम चैंपियनशिप रेसलिंग से हुआ। उसके बाद WWF के एटिट्यूड एरा यानी 1997 से लेकर 2001 एक तक का समय जिसमें जिस तरह का एक्शन होता था, वो काफी अव्वल दर्जे का था और रेसलिंग इतिहास का वो फेमस फेज भी है।
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कुछ ऐसे हथियार होते हैं, जिन्हें रिंग के अंदर रखा जाता है, जिसे रेसलर्स इस्तेमाल कर सकते हैं। उन हथियारों में से 75 प्रतिशत हथियार असली होते हैं। स्टील चेयर्स, स्लेज हैमर्स, थंब ट्रैक्स असली होते हैं। रेसलर्स कई साल रेसलिंग स्कूल में इन वैपन का इस्तेमाल करना सीखते हैं।
टेबल्स और लैडर्स को फिर भी सेफ़्टी के हिसाब से बनाया गया है। कई साल ट्रेनिंग के बाद भी वैपन हर्ट करते हैं और इसी वजह से कई खतरनाक मूव्स को बैन भी कर दिया गया है।
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2- क्या मूव्स सच में हर्ट करते हैं?
एक चीज़ जो फैंस के दिमाग में आती है कि क्या रिंग सच में सेफ है या फिर रेसलर्स को चोट लगती है या नहीं। कई सालों की मेहनत और ट्रेनिंग के बाद ही वो रिंग में होने वाले खतरे से बच पाते हैं।
रेसलिंग रिंग 14 और 18 फीट होती है। WWE 20 फुट की रिंग का इस्तेमाल करते हैं, इसके अलावा WCW और ECW 18 फुट की रिंग का इस्तेमाल करते हैं।
वाईट मैट के अंदर सॉलिड वुड होता है, जोकि इम्पैक्ट को सोख लेता है। टर्न बकल्स कवर होते हैं, लेकिन कभी हील उसे खुला छोड़ देते हैं। इसके अलावा रिंग के अंदर माइक्रोफोन भी भी लगा होता है।
3- इंजरी कितनी असली होती है?
WWE में एक सुपरस्टार का रिंग के अंदर ऐसे गिरना जैसे उसे लगा हो, यह काफी कॉमन है। यह कहना गलत होगा कि किसी भी बड़े स्टार को एक बार भी खतरनाक चोट नहीं लगी।
रैंडी ऑर्टन के कंधे की चोट, मिक फोली की कमर टूटना। स्ट्रेचर्स को इंजर्ड रैसलर्स की मदद के लिए लाया जाता है, लेकिन उन्हें अक्सर ज्यादा ड्रामा क्रियेट करने के लिए लाया जाता है।
4- मैच की रिहर्सल कितनी बार होती है?
मैचों का परिणाम हमेशा से ही पहले ही डिसाइड होता है। मैच के विनर को क्राउड़ के रिएक्शन के हिसाब से चुना जाता है और उसके अलावा इस चीज़ को भी ध्यान में रखना होता है कि क्या स्टोरीलाइन सही दिशा में जाएगी या नहीं।
रेसलर्स स्पॉट कॉलिंग करते हैं, जिसमें वो अपने विरोधी को पहले ही बता देते हैं कि वो कौन सा मूव इस्तेमाल करने वाले हैं। अगर कोई ध्यान से सुने, तो आसानी से सुना जा सकता है।
कमेंटेटर्स भी रेफरी को बता देते हैं कि मैच दर्शकों को पसंद कर रहे हैं या नहीं और रेफरी यह बात सुपरस्टार्स को बता देते हैं, जिसके बाद अंत में उसी प्लैन को एक्सिक्यूट किया जाता है।
5- रेसलर्स के खून कैसे निकलता है?
खून रेसलिंग का अहम हिस्सा है, जिसे कि पोस्ट एरा के बाद ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया गया। इसके पीछे कई थ्योरी है और सच यह है कि जो खून निकलता है वो 100 प्रतिशत असली है। उस प्रोसेस का नाम ब्लेडिंग है। रेफरी एक छोटा से रेज़र रेसलर को देते हैं और वो उसका इस्तेमाल अपने फोरहेड पर करते हैं।
ज्यादा खून का राज़, रेसलर अपने हाथ के इस्तेमाल से करते हैं, जिसे वो अपने फेस पर रगड़ लेते हैं।