इस साल मनी इन द बैंक पे पर व्यू इतना शानदार रहा, अक्सर ऐसे पे पर व्यू की उम्मीद रैसलमेनिया से ही होती हैं। इस साल इस पे पर व्यू में जो कुछ भी हुआ उससे सारे फैंस काफी उत्साहित नज़र आए और जिस तरह स्टोरीलाइन चली उससे सबको काफी एंटरटेनमेंट भी मिला। मनी इन द बैंक में काफी सरप्राइसिस देखने को मिले, जिससे WWE यूनिवर्स की धड़कने भी बढ़ गई।
आइये नज़र डालते हैं 5 ऐसे सरप्राइसिज़ पर:
# डडली बोयज को कम महत्व देना
एमआईटीबी के प्री शो में जो भी हुआ उससे सबको काफी हैरानी हुई। डडली बोयज ने जबसे WWE में वापसी की हैं, तब से ही उन्हें कोई दमदार मैच नहीं मिला हैं, जिससे वो अपनी छाप छोड़ सके। हालांकि जिस तरह उन्हें लूचा ड्रैगंस से हराया गया, खासकर यह बात ध्यान में रखते हुए कि वो एक उन्हें एक ऐसी टीम से हराया गया, जोकि पिछले दो महीनों से साथ में ही नज़र आए हैं।
डडली बोयज हमेशा से ही यह कहते आए हैं कि वो सबसे खतरनाक टैग टीम में से हैं, लेकिन फैंस इस बात पर कैसे यकीन करेंगे अगर उन्हें लूचा ड्रैगंस से हरा दिया जाएगा। रैसलमेनिया के बाद से ही डडली बोयज का प्रदर्शन गिरता ही जा रहा हैं और WWE को इसमे जल्द से जल्द ध्यान देना होगा। डडली बोयज को हराने का यह मतलब नहीं कि कंपनी को कोई अच्छी टैग टीम मिल जाएंगी।
# रुसेव का गुस्सा
रुसेव की टाइट्स के ऊपर जीत की उम्मीद तो सबको थी, पर जो उन्होने उस मैच के बाद किया, उससे किसी को भी हैरानी नहीं हुई। एक तो WWE टाइट्स के बच्चो को उनके मैच के दौरान लेकर आई और ऊपर से जिस तरह मैच के बाद रुसेव ने टाइट्स की बेइज्जती की और उनको उनके बच्चों के सामने ही लूजर कहा, उससे बुरा कुछ नहीं हो सकता था।
WWE रुसेव को एक मोन्स्टर विलेन के रूप में पेश कर रहा हैं, लेकिन जिस तरह का गुस्सा रुसेव का हैं, वो सबके लिए परेशानी का सबब बना हुआ हैं। अभी पिछले हफ्ते ही रुसेव ने गुस्से में आकर यह कह दिया कि वो अली से बेहतर हैं। और अब उनका कंपनी के बेबी फेस टाइट्स की बेइज्जती करना, उनके बच्चों के सामने वो भी फादर्स डे के दिन। WWE को ध्यान देना होगा कि वो इसे कहाँ लेकर जा रहे हैं।
# नटालिया का विलेन बनना
इस लिस्ट में जो सबसे बड़ी हैरानी वाली बात हुई, वो थी नटालिया का विलन बनना, जिसकी की किसी को उम्मीद नहीं थी। हालांकि उनका विलेन बनने के सिर्फ दो ही कारण नज़र आते हैं।
उनके विलेन बनने से, उनके किरदार को नयापन मिलेगा। नटालिया कंपनी की बेबी फेस के तौर पर, जितना भी कर सकती थी, वो कर चुकी हैं। वो इस कंपनी में अंडर डॉग की तरह थी, वो एक ऐसी किरदार थी जिन्हें हमेशा ही फैंस की सहानुभूति मिली और जैसे कि अब वो विलेन बन गई, तो वो भी जेरिको की तरह न्यू टैलंट्स के साथ नज़र आ सकती हैं।
और दूसरा विमेन डिवीजन में एक साथ दो स्टोरीलाइन चलती नज़र आएंगी। अब समय आ गया हैं कि WWE विमेन डिवीजन को भी गंभीरता से ले। इसके साथ ही बेकी लिंच अब टाइटल के दावेदारों के रूप में अलग कर सकती हैं और अपनी नई दुश्मनी पर ध्यान दे सकती हैं।
# दो नए चैम्पियंस
मनी इन द बैंक पे पर व्यू में लक दोनों ही चैम्पियन की तरफ नही रहा और 5 मिनट के अंदर ही हमे मेन इवेंट में दो नए चैम्पियन देखने को मिले।
इस मुक़ाबले में जो सबसे अच्छी बात रही कि तीनों ही सुपरस्टार्स ने एक दूसरे के मैच में दखल नहीं दिया। सबसे पहले रोमन रेंस और सैथ रोलिन्स के बीच एक ज़बरदस्त मैच देखने को मिला और यह एक ऐसा मैच था कि जिसके परिणाम से किसी को भी दुख नहीं होगा। जब रोलिन्स ने रेंस को हराया तो सब हैरान रह गए और जब डीन एम्ब्रोज़ ने अपना कांट्रैक्ट रोलिन्स पर कैश इन किया, उससे ज्यादा हैरानी किसी को नहीं हुई।
किसी को उम्मीद नहीं थी कि शील्ड का ट्रिपल थ्रेट मैच रैसलमेनिया से पहले देखने को मिलेगा।
# एम्ब्रोज़ कंपनी के नए फेस
अगर कोई कहता कि इस रविवार के बाद एम्ब्रोज़ कंपनी के नए फेस होंगे, तो निश्चित ही किसी को भी हसी आ जाएगी। हालांकि एम्ब्रोज़ के फैंस हर जगह हैं, लेकिन जिस तरह WWE ने रोमन और रोलिन्स की दुश्मनी को हाइप किया, उसको देखकर तो यह मुश्किल ही लग रहा था कि एम्ब्रोज़ का चैम्पियन बनने का कोई मौका हैं ही नहीं। वो हमेशा ही रोलिन्स और रेंस के पीछे ही नज़र आए।
एम्ब्रोज़ ने ना सिर्फ ब्रीफकेस जीता, बल्कि मेन इवेंट में उसे कैश इन करकर वो कंपनी के नए फेस भी बने। लेकिन जिस तरह चीजे अभी चल रही हैं, यह कहना मुश्किल हैं कि कौन विलेन हैं और फेस। हालांकि WWE रेंस को अपने फेस के तौर पर पेश कर रही हैं, लेकिन फैंस ने कभी भी उन्हें चीयर नहीं किया। वहीं दूसरी तरफ WWE रोलिन्स को विलन के रूप में ला रही हैं, पर फैंस उन्हें काफी पसंद कर रहे हैं।
डीन एम्ब्रोज़ इस समय कंपनी के फेस हैं, उनके पास WWE यूनिवर्स का भी समर्थन हैं। WWE में कब क्या हो जाएगा, यह कोई भी नहीं कह सकता। क्या पता आने वाले हफ्तों में WWE कुछ भी कर सकती हैं, जोकि सबके लिए हैरान करने वाला हो।
लेखक- किरुपकारण, अनुवादक- मयंक महता