WWE समरस्लैम से हमे जैसी उम्मीद थी, यह बिल्कुल वैसा ही निकला। मैच कार्ड इतने अच्छे थे की अगर WWE ऐसे मैच न देती थी बहुत बड़ा गुनाह करती। लेकिन वें आने वायदे पर कायम रहे और सभी दर्शकों को खुश किया। प्री शो में सिजेरो और शेमस की भिड़ंत से लेकर मेनइवेंट में ब्रोक लैसनर की TKO से जीत तक, इस बार के समरस्लैम को कामयाब करवाने के लिए WWE ने कोई कसर नहीं छोड़ी। इतना ही नहीं नेविल में अभी भी वो बात है और दर्शक उन्हें पसंद करते हैं, खासकर उनकी उड़नेवाली प्रतिभा को। सबसे अच्छी बात ये है कि जबतक उनके पास JBL, मौरो रौनालो और कोरी ग्रेव्स जैसे कमेंटेटर है, शो यादगार बनता रहेगा। ये रही समरस्लैम 2016 की 5 मुख्य बातें: #5 ब्रॉक लैसनर को कोई रोक नहीं सकता कइयों को उम्मीद थी कि रैंडी ऑर्टन बीस्ट को कड़ी टक्कर देंगे। लेकिन जिस तरह से ब्रॉक ने इस मुकाबले में हिस्सा लिया उससे ये तो साफ़ पता चल गया कि WWE के मुख्य रॉस्टर में ऐसा कोई नहीं जो ब्रॉक को रोक सके। हालांकि रैंडी ऑर्टन ने ब्रॉक की दो RKO दिए, लेकिन वें कभी भी मैच में हावी नहीं दिखे। लेकिन जब ब्रक ने उन्हें F5 देकर टिन के डिब्बे की तरह तोडा, तो रैंडी के RKO की सभी यादें धुंधली हो गयी। WWE ने ब्रॉक की बुकिंग जिस तरह की है, उसे देखर ये लगता है कि उन्हें रोकना बहुत मुश्किल है। मैच खत्म होने के बाद भी ब्रोक ऑर्टन पर हमला करते रहे। इसके बाद ब्रोक ने शेन मैकमैहन को भी F5 दिया। शेन मैकमैहन रिंग में रैंडी ऑर्टन की हालत देखने आए थे और उन्हें फर्क नहीं पड़ता था कि दर्शकों का एक गुट उनके बारे में क्या सोचता है। #4 रोमन रेन्स की वापसी काफी समय से WWE को रोमन रेन्स की बुकिंग को लेकर समस्या थी। दो साल के बाद WWE ने दर्शकों को वो रोमन रेन्स दिया, जिसकी वें मांग कर रहे थे। लेकिन यहाँ पर वें दो साल से लेट हो गए। लेकिन कोई नहीं, देर आएं दुरुस्त आए। रोमन रेन्स और रुसेव के बीच का मैच शुरू ही नहीं हुआ, क्योंकि मैच के पहले ही रुसेव ने रोमन पर हमला कर दिया। इस के बाद हमें रोमन का बुरा रूप देखने मिला। ऐसा रूप हमने पहले देखा था, जब वें ट्रिपल एच से भिड़ते थे। रोमन का ये रूप प्रभावशाली दिखा और इसे काफी पहले आजमाना चाहिए था। देखनेवाली बात है कि केवल एक दफा हुआ, या फिर रोमन के किरदार बदलाव की ओर इशारा था। लेकिन WWE को रोमन की बुकिंग इसी आक्रमकता से करनी चाहिए, जैसे कल रात की थी। उन्हें अच्छा मिडकार्ड पुश मिल जाएगा अगर एक बार दर्शक उन्हें पसंद करने लगे तो। हील बनने के बाद US ख़िताब जीतकर उनके लिए कई फियड्स के रास्ते बन जाएंगे। चाहे हील हो या फेस हो केविन ओवन्स के साथ उनका फिउड देखने लायक होगा। #3 महिलाओं का शो देखने लायक था प्री शो में नेविल ने अपनी काबिलियत दिखाई, तो वहीँ महिलाओं ने शो में अपना जादू बिखेरा। खासकर शार्लेट और शाशा बैंक्स ने मिलकर बार्कलेज स्टेडियम में अपने प्रदर्शन का जादू बिखेरा। पिछले बार के उल्ट इस बार उन्होंने अपने प्रदर्शन से पूरा शो अपने नाम किया, जिस तरह जेफ़ हार्डी किया करते थे। हालांकि शो में कई असरदार परफॉरमेंस भी थे, लेकिन महिलाओं का प्रदर्शन सभी दर्शकों की ध्यान में है। खासकर वो मूव जब शार्लेट ने सेकंड रूप से रेजर एज किया, जिसका जवाब शाशा ने हरिकेन से दिया। हालांकि शाशा यहाँ पर जीतने में सफल नहीं हुई, लेकिन दोनी महिलाओं ने ये दिखा दिया की वें किसी से कम नहीं हैं। मैंने जीतने महिलाओं के मुकाबले देखे हैं, उनमें से ये सबसे अच्छा था। #2 नया WWE यूनिवर्सल चैंपियन रॉ के समरस्लैम में सबसे ज्यादा चर्चा हुई नए WWE यूनिवर्सल चैंपियन की। फिन बैलर और सैथ रॉलिन्स ने अपनी काबिलियत से दर्शकों को हक्का-बक्का कर दिया। इस मैच में नई जान थी। दोनों में काबिलियत थी और दोनी ने मिलकर रात का सबसे अच्छा मैच हमें दिया। मजेदार बात ये है कि ये मैच कोई भी जीत सकता था। रॉलिन्स को पछाड़ते हुए बैलर ने उन्हें कूप डे ग्रेस दिया और ख़िताब अपने नाम किया। रॉ के नए दौर की शुरुआत अब चैंपियन फिन बैलर और उनके मुख्य प्रतिद्वंदी सैथ रॉलिन्स के साथ होगी। इसे देखने में मजा आएगा। #1 नया दौर समरस्लैम वाली रात की सबसे मुख्य बात थी, नए दौर का आगाज। हालांकि WWE में नए दौर की बात को लेकर कई लोग उलझन में हैं, लेकिन WWE ने अपनी बात सच साबित करवा दी है। इस समरस्लैम को नए दौर की शुरुआत कहा जा सकता है। नए दौर में हमने जॉन सीना को ऐजे स्टाइल्स के हाथों हारते देखा। (ये बिल्कुल नामुनकिन काम था) आप खुद मैच देख लीजिए, स्टाइल्स सीना के हर मूव की काउंटर कर रहे थे। वहीँ सीना का "नेवर गिव अप" रवैया स्टाइल्स के सब्र का बांध तोड़ रहा था। स्टाइल्स अपने दृढ़ संकल्प से मैच में डेट रहे और जीत हासिल की। जॉन सीना ने अपनी हार मानते हुए अपना आर्म बैंड रिंग में छोड़ दिया। यहाँ से नया दौर शुरू हो गया। अब नया दौर शुरू हो गया है तो हम इससे कुछ नया उम्मीद कर सकते हैं। लेखक: किरूपाकरन, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी