आखिर द अंडरटेकर इतने क्यों खास हैं?

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अंडरटेकर नाम ऐसा कि मौत की याद दिला दे। उनके रिंग की तरफ बढ़ने पर डराने वाली सिग्नेचर ट्यून बजती थी और अंधेरा उनकी पहचान था। फैंस की रूह कांप जाती है जब वो एंट्री करते है। रैसलर जिस दौर में अपने साथ हसीनाएं रखते थे, अंडरटेकर ताबूत में से निकलते थे और विरोधी से पीटकर लेट जाते थे तो दिल बैठ जाते थे। जब अचानक उठकर बैठ जाते थे तो फैंस के दिल उछल जाते थे। आज भी फैंस उन्हें हरपल रिंग में देखना चाहते है। इतनी बड़ी उम्र होने के बावजूद अंडकटेकर के नौजवाल रैसलर की तरह नजर आते है।

द अंडरटेकर अपने आप में एक बड़ी पहचान है लेकिन ये शख़्स कौन है और रिंग से बाहर की दुनिया में किस नाम से पहचाना जाता है, ये जानना भी दिलचस्प हमेशा रहता है। इनका असली नाम मार्क विलियम कैलवे है। साल 1984 में वर्ल्ड क्लास चैम्पियनशिप रैसलिंग से जुड़े कैलवे 1989 में 'मीन मार्क' के रूप में वर्ल्ड चैम्पियनशिप रैसलिंग में पहुंचे और वहां से उनका सफ़र 1990 में वर्ल्ड रैसलिंग फेडरेशन पहुंचा।

द अंडरटेकर बने कैलवे का पूरा प्रोफ़ाइल डर पर आधारित था। साल 2000 की शुरुआत में उनके किरदार में जरा बदलाव आया जिसमें बाइक की एंट्री हुई। वो बाइक पर सवार होकर रिंग तक आते थे। लेकिन साल 2004 में वो दोबारा पहले वाले तरीके से आने लगे। WWE में उनके 'सौतेले भाई' केन भी नजर आए। स्टोरीलाइन में शुरुआत में दोनों के बीच दुश्मनी थी लेकिन बाद में एक हो गए और मिलकर 'ब्रदर्स ऑफ़ डिस्ट्रक्शन' बनाया।

अंडरटेकर का जलवा फ़िल्मों में भी दिखा। अक्षय कुमार की फिल्म 'खिलाड़ियों का खिलाड़ी' में वो हीरो से लड़ते नजर आए थे। यूं तो अंडरटेकर को रैसलमेनिया में लगातार 21 जीतों के लिए याद किया जाता है लेकिन उनकी सबसे बड़ी जीत प्रोफ़ेशनल रैसलिंग के दीवानों के दिलों को जीतना है।

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