भारतीय तीरंदाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए जर्मनी में हुई विश्व तीरंदाजी प्रतियोगिता में सर्वाधिक पदक हासिल किए हैं। 31 जुलाई से 6 अगस्त तक चले इस टूर्नामेंट में भारत ने 3 गोल्ड और 1 ब्रॉन्ज मेडल समेत कुल 4 पदक हासिल किए और पदक तालिका में पहला स्थान हासिल किया। दक्षिण कोरिया 2 गोल्ड और 1 ब्रॉन्ज के साथ दूसरे जबकि मेजबान जर्मनी 1 गोल्ड और 1 सिल्वर के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
भारत के लिए युवा तीरंदाज प्रवीण ओजस देओतले ने कम्पाउंड पुरुष एकल स्पर्धा में भारत को गोल्ड दिलाया। फाइनल में ओजस ने पोलैंड के लुकाज प्रिजिबिलिस्की को 1 अंक से मात दी और 150 में से 150 अंक अर्जित कर पहला स्थान हासिल किया। ओजस ने स्पर्धा के सेमिफाइनल में विश्व नंबर 1 माइक श्लोजर को मात दी थी और तभी से गोल्ड के प्रबल दावेदार बन गए थे। ओजस पुरुष एकल में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
अदिति गोपीचंद स्वामी ने महिलाओं की कम्पाउंड एकल स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल कर इतिहास रचा। महज 17 साल की अदिति ने मेक्सिको की आंद्रेया बेकेरा को फाइनल में हराया और इस स्पर्धा का गोल्ड जीतने वाली सबसे युवा तीरंदाज (2006 के बाद) बनीं। अदिति ने सेमिफाइन में भारत की ही ज्योति सुरेखा वेन्नम को हराया था। वेन्नम ने कांस्य पदक के लिए हुए मैच में जीत दर्ज की। एकल स्पर्धा में गोल्ड जीतने के बाद अदिति ने खुशी जाहिर की और उम्मीद जताई कि वह अगले महीने चीन में होने वाले एशियाई खेलों में भी गोल्ड मेडल हासिल कर सकें।
इससे पहले टूर्नामेंट में भारतीय महिला कम्पाउंड टीम ने भी गोल्ड मेडल जीता। परनीत कौर, ज्योति वेन्नम और अदिति की तिकड़ी ने देश को पहला विश्व चैंपियनशिप गोल्ड दिलाया। खास बात यह है कि भारत ने पहली बार विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीते हैं और तीनों एक ही टूर्नामेंट के जरिए आए हैं।
भारत के लिए यह विश्व चैंपियनशिप इतिहास में सबसे सफल रही है। पिछली बार 2021 में हुई प्रतियोगिता में भारत के नाम 3 सिल्वर मेडल आए थे। इस विश्व चैंपियनशिप में भारत समेत कई नए देश पहला गोल्ड जीतते दिखे। वहीं साल 1981 के बाद पहली बार दक्षिण कोरिया को एकल स्पर्धा में कोई भी गोल्ड मेडल नहीं मिला।