नीरज चोपड़ा भारतीय एथलेटिक्स की दुनिया में इतिहास का सबसे बड़ा नाम बन चुके हैं। टोक्यो ओलंपिक में जैवलिन थ्रो का गोल्ड जीतने वाले नीरज ने हाल ही में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर जीतकर 19 साल बाद देश को पदक दिलाने में कामयाबी हासिल की। और अब बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में भी नीरज समेत देश के एथलेटिक्स दल से पदकों की उम्मीद है। भारत की ओर से इस बार 24 पुरुष और 19 महिला एथलीट समेत कुल 43 खिलाड़ी कॉमनवेल्थ गेम्स की ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में दम दिखाने को तैयार हैं। 43 में से भी कुछ खिलाड़ी ऐसे हैं जिनसे मेडल की उम्मीद सबसे ज्यादा है -
फील्ड इवेंट-
फील्ड इवेंट्स में नीरज चोपड़ा जैवलिन थ्रो का खिताब बचाने उतरेंगे। ओलंपिक चैंपियन और विश्व चैंपियनशिप सिल्वर मेडलिस्ट चोपड़ा ने 2018 गोल्ड कोस्ट खेलों में भी जैवलिन थ्रो का गोल्ड जीता था। 89.94 मीटर का पर्सनल बेस्ट रिकॉर्ड हाल ही में बनाने वाले नीरज से गोल्ड से कम फैंस को मंजूर नहीं होगा। महिलाओं में अन्नू रानी जैवलिन थ्रो के इवेंट में लगातार दूसरी बार विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंची हैं और कॉमनवेल्थ खेलों में पदक लाने का दम रखती हैं।
ट्रिपल जम्प में एल्डहॉस पॉल सबसे बड़ी चुनौती पेश करेंगे। 25 साल के राष्ट्रीय चैंपियन पॉल ने हाल ही में विश्व चैंपियनशिप के ट्रिपल जम्प फाइनल में जगह बनाई और 9वें स्थान पर रहे। वहीं लॉन्ग जम्प में एम श्रीशंकर भी पदक के बड़े दावेदार हैं। उनके अलावा मुहम्मद अनस भी कमाल कर सकते हैं। हाई जम्प खिलाड़ी तेजस्विन शंकर मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन हैं और कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद कॉमनवेल्थ खेलों तक पहुंचे है। 2015 कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स के विजेता शंकर की बेस्ट जम्प 2.29 मीटर की है। नवजीत ढिल्लों ने महिलाओं के डिस्कस थ्रो ईवेंट में पिछली बार ब्रॉन्ज जीता था और इस बार गोल्ड पर निशाना लगाने को तैयार हैं। वहीं सीमा पुनिया लगातार दो बार 2014, और 2018 में डिस्कस थ्रो में सिल्वर जीत चुकी हैं और इस बार वो भी गोल्ड से कम की नहीं सोच रहीं।
ट्रैक इवेंट
ट्रैक इवेंट में 2019 की ऐशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप के सिल्वर मेडलिस्ट अविनाश साबले पर निगाहें होंगी। साबले 3000 मीटर स्टीपलचेज स्पर्धा में खेलेंगे। 4 गुणा 400 मीटर रीले में भारत पदक ला सकता है। जबकि हिमा दास, दुती चंद की मौजूदगी मे महिला 4 गुणा 100 मीटर में भी भारत को मेडल मिल सकता है।
कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने एथलेटिक्स में बाकी देशों के मुकाबले ज्यादा अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। पहला मेडल गोल्ड के रूप में 1958 के खेलों में धावक मिल्खा सिंह ने दिलाया था। इसके बाद साल 2010 में महिला 4 गुणा 400 मीटर रीले का गोल्ड भारत ने जीता और कृष्णा पुनिया ने डिस्कस थ्रो का गोल्ड दिलाया। 2014 में विकास गौड़ा ने डिस्कस थ्रो का गोल्ड जीता और खेलों में फील्ड इवेंट का गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने। आज तक देश ने कुल 28 मेडल एथलेटिक्स में जीते हैं। लेकिन उम्मीद यही है कि इस बार बर्मिंघम में भारतीय एथलीट इस संख्या को अच्छे खासे अंतर से बढ़ाएंगे।