टैक्सी ड्राइवर पिता के संघर्ष को देख एथलीट बनीं प्रियंका गोस्वामी, कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता ऐतिहासिक सिल्वर मेडल

प्रियंका ने कॉमनवेल्थ खेलों में 10 हजार किलोमीटर पैदल चाल का सिल्वर जीता है।
प्रियंका ने कॉमनवेल्थ खेलों में 10 हजार किलोमीटर पैदल चाल का सिल्वर जीता है।

भारत की लंबी दूर पैदल चाल एथलीट प्रियंका गोस्वामी ने बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में 10 हजार मीटर की पैदल चाल स्पर्धा में सिल्वर जीत ट्रैक एंड फील्ड में भारत के पदकों की संख्या 3 कर दी है। प्रियंका ने 43:38:83 मिनट का समय लिया और दूसरा स्थान हासिल किया। पहले स्थान पर ऑस्ट्रेलिया की जेमिमा मोंटाज ( 42 :34:30) रहीं जबकि कीनिया की एमिली एनगी ने तीसरा स्थान हासिल किया।

उत्तर प्रदेश के मेरठ की रहने वाली प्रियंका का एथलीट बनने का सफर काफी कठिन रहा। प्रियंका के पिता उत्तर प्रदेश के रोडवेज में नौकरी में थे, लेकिन एक बार किसी सरकारी अधिकारी से बहस होने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। हैरानी की बात ये रही कि उनकी नौकरी इतने सालों में बहाल नहीं की गई। पिता ने टैक्सी चलाकर घर का खर्च चलाना शुरु किया। घर की वित्तीय हालत काफी खराब थी। प्रियंका स्कूल में पहले जिमनास्टिक करती थीं और लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के स्पोर्ट्स होस्टल में रहती थीं। लेकिन फिर घर के हालात देखे और ऐथलीट बनने का मन बनाया। प्रियंका ने मेरठ के कैलाश प्रकाश स्टेडियम में दौड़ते हुए एथलीट बनने की शुरुआत की। घर के हालात की वजह से एथलीट के हिसाब से सही डाइट भी नहीं मिल पाती थी।

प्रियंका ने पटियाला जाकर ट्रेनिंग करनी शुरु की। किराए में रहने वाली प्रियंका तीन टाइम टिफिन मंगाती थी लेकिन घर के हालात जानते हुए उन्होंने एक ही समय टिफिन मंगाना शुरु किया ताकि पैसे बचा सकें। प्रियंका ट्रेनिंग के साथ कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं और कॉलेज ने प्रियंका की प्रतिभा देखते हुए उन्हें स्कॉलरशिप देनी शुरु की जिससे प्रियंका को ट्रेनिंग में काफी मदद मिली।

26 साल की प्रियंका 2 बार की नेशनल चैंपियन हैं और टोक्यो ओलंपिक में 20 किलोमीटर पैदलचाल में भाग ले चुकी हैं। यहां वह 17वें स्थान पर रही थीं। इस बार बर्मिंघम में प्रियंका ने अपना पर्सनल बेस्ट टाइम निकालते हुए पदक जीता है। ये इस स्पर्धा में देश का पहला मेडल है। प्रियंका से पहले तेजस्विन शंकर ने हाई जम्प में ब्रॉन्ज और मुरली श्रीशंकर ने लॉन्ग जम्प में सिल्वर जीत भारत को एथलेटिक्स के पहले मेडल दिलाए। प्रियंका वर्तमान में भारतीय रेलवे में नौकरी कर रही हैं।

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