पूर्व विश्व नंबर 1 बैडमिंटन खिलाड़ी किदाम्बी श्रीकांत ने देश में इस खेल को जिस मुकाम पर पहुंचाया है वह अद्भुत है। अब बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में श्रीकांत ने पुरुष सिंगल्स का ब्रॉन्ज जीत कॉमनवेल्थ खेलों में हर रंग का पदक जीत लिया है। 2018 गोल्ड कोस्ट खेलों में श्रीकांत ने मिक्सड टीम इवेंट में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी, तब पुरुष सिंगल्स मे श्रीकांत ने सिल्वर जीता था। इस बार बर्मिंघम में श्रीकांत ने मिक्स्ड टीम इवेंट में पहले सिल्वर मेडल जीता और अब पुरुष सिंगल्स का ब्रॉन्ज भी जीत लिया है।
प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद के बाद सही मायनों में भारतीय पुरुष बैडमिंटन को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वापस खड़ा करने का काम श्रीकांत ने किया है। पिछले साल श्रीकांत ने टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने का मौका गंवा दिया था क्योंकि कोविड के कारण कई टूर्नामेंट हुए नहीं थे जिसकी वजह से समय से श्रीकांत अपनी रैंकिंग सुधार नहीं पाए थे। लेकिन उन्होंने साल के अंत में विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप का सिल्वर जीतकर इस गम को कम कर दिया। श्रीकांत विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी हैं।
रवुलापलेम, आंध्र प्रदेश के रहने वाले श्रीकांत और उनके भाई नंदगोपाल, दोनों बचपन से बैडमिंटन सीखते रहे। पुलेला गोपीचंद की अकादमी में इन्हें बढ़िया ट्रेनिंग मिली। साल 2012 में दोनों भाईयों ने नेशनल चैंपियनशिप के सिंगल्स सेमिफाइनल में पहुंच कर तहलका मचा दिया था। 2012 में श्रीकांत ने मालदीव इंटरनेशनल का सिंगल्स खिताब जीता। 2013 में श्रीकांत थाईलैंड ओपन जीतने में कामयाब रहे। तब उन्होंने मशहूर खिलाड़ी बुनसाक पोनसाना को सीधे सेटों में मात दी थी।
2013 में ही श्रीकांत ने पहला सीनियर नेशनल टाइटल जीता। 2014 में ग्लासगो कॉमनवेल्थ खेलों में मिक्स्ड टीम ईवेंट में भारत सेमिफाइनल तक पहुंचा था और श्रीकांत इस टीम का हिस्सा थे। उसी साल नवंबर में श्रीकांत ने चाइना ओपन सुपर सीरीज का खिताब जीता। ये खिताब श्रीकांत ने 5 बार के विश्व चैंपियन और 2 बार के ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट लिन डैन को हराकर हासिल किया। इस जीत से पहले तक साइना नेहवाल और पीवी सिंधू का नाम ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की ओर से लिया जा रहा था। पर श्रीकांत के टैलेंट ने सभी को मजबूर कर दिया इस युवा खिलाड़ी पर नजर बनाने के लिए।
साल 2015 में श्रीकांत स्विस ओपन ग्रांप्री जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने। उन्होंने फाइनल में डेनमार्क के विक्टर एक्सलसन को हराया था जो मौजूदा ओलंपिक चैंपियन हैं। साल 2016 में श्रीकांत रियो ओलंपिक के क्वार्टरफाइनल तक पहुंचे थे। 2017 में श्रीकांत ने इंडोनिशिया सुपर सीरीज जीती और लगातार तीन सुपर सीरीज फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। साल 2018 में अपने प्रदर्शन के चलते श्रीकांत ने विश्व नंबर 1 की रैंकिंग भी हासिल की।
साल 2022 श्रीकांत के लिए बेहद खास रहा क्योंकि मई में श्रीकांत की अगुवाई में भारत ने पुरुष टीम बैडमिंटन की विश्व चैंपियनशिप यानि थॉमस कप का खिताब अपने नाम किया। इस टूर्नामेंट में श्रीकांत ने अहम मुकाबलों में मैच जीत टीम को खिताब तक पहुंचाया और एक लीडर के तौर पर टीम को रास्ता दिखाया।
श्रीकांत भले ही बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ सिंगल्स गोल्ड से एक बार फिर चूक गए हों, लेकिन इस बार गोल्ड लक्ष्य सेन के रूप में एक भारतीय ने ही जीता है जो श्रीकांत को आदर्श मानते हैं। सिर्फ लक्ष्य ही नहीं, उन जैसे कई युवा भारतीय खिलाड़ी श्रीकांत से हर रोज प्रेरणा लेते हैं। शांत रहते हुए भी अपने खेल से दुनिया को कैसे जवाब दिया जा सकता है यह कला श्रीकांत से बेहतर शायद ही कोई खिलाड़ी बता सके।