23 दिसम्बर से PBL (प्रीमीयर बैडमिंटन लीग) का सीजन शुरू हो रहा है, जो कि 14 जनवरी 2018 तक चलेगा। इस बार इसमें 6 पुरानी टीमों अवध वॉरियर्स, चेन्नई स्मैशर्स, मुंबई रॉकेट्स, हैदराबाद हंटर्स, दिल्ली एसर्स, बेंगलुरु ब्लास्टर्स के अलावा दो नई टीमें भी भाग लेंगी। जो नई टीमें इस सत्र में PBL से जुड़ेंगी, उनके नाम है नॉर्थ ईस्टर्न वॉरियर्स और अहमदाबाद स्मैश मास्टर्स। नॉर्थ ईस्टर्न वारियर्स की टीम असम के गुवाहाटी शहर का प्रतिनिधित्व करेगी, वहीं दूसरी टीम अहमदाबाद स्मैश मास्टर्स गुजरात के अहमदाबाद शहर का प्रतिनिधित्व करती नज़र आएगी। जबकि पूर्व चैम्पियन दिल्ली एसर्स इस बार दिल्ली डैशर्स के नाम से खेलती नज़र आएगी। इस बार 8 टीमें होने के कारण PBL के और भी रोमांचक होने की आशा है। PBL के इतिहास पर नज़र डालें तो इसकी शुरुआत सन 2013 में हुई थी, तब इसे IBL (इंडियन बैडमिंटन लीग) के नाम से खेला गया था। 14 अगस्त 2013 से 31 अगस्त 2013 तक चले इसके पहले संस्करण में मुंबई में खेले गए फाइनल में हैदराबाद हॉट शॉर्ट ने अवध वॉरियर्स को हरा कर खिताब अपने नाम किया था। उसके बाद इसमें रुकावट आ गईं। ब्रेक के बाद वर्ष 2016 में जब पुनः इसकी शुरुआत हुई तो इसका नाम बदल कर PBL कर दिया गया। दूसरा संस्करण 2 जनवरी 2016 से 17 जनवरी 2016 के बीच खेला गया। तब देहली एसर्स ने मुंबई रॉकेट्स को फाइनल मुकाबले में शिकस्त देकर खिताब पर अपना कब्जा जमाया था। PBL का तीसरा सीजन 1 जनवरी 2017 से 14 जनवरी 2017 के मध्य खेला गया। इस सत्र में फाइनल में मुंबई रॉकेट्स को 4-3 से हराते हुए चेन्नई स्मैशर्स ने चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया। पिछले कुछ समय में भारत के कई युवा खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन करने में सफल रहे हैं, अनुभवी खिलाड़ियों के खेल में भी निखार आया है। ऐसे में ये प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि क्या ये PBL के कारण सम्भव हुआ है? लगता तो कुछ ऐसा ही है, हालांकि भले ही पूरी तरह से PBL के कारण ऐसा हो पाना सम्भव न हुआ हो, लेकिन भारतीय खिलाड़ियों की इस शानदार सफलता में PBL का कुछ न कुछ तो योगदान अवश्य रहा है, इससे कोई भी इंकार नहीं किया जा सकता। ये निर्विवाद सत्य है कि अधिकांश भारतीय खिलाड़ियों के खेल को निखारने में पूर्व खिलाड़ी और वर्तमान कोच पुलेला गोपीचंद का सबसे अधिक योगदान रहा है। लेकिन भारत में बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाने में और नई प्रतिभाओं को आगे लाने में PBL के योगदान को बिल्कुल भी नकारा नहीं जा सकता। देश के युवा खिलाड़ियों को जब PBL के माध्यम से दुनियाभर के नामी गिरामी बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने का अवसर मिला तो उनके खेल में गजब का निखार आया। आकड़े इस बात के प्रत्यक्ष गवाह हैं। कुछ वर्ष पूर्व तक जहां मात्र साइना नेहवाल ही अकेले विश्व स्तर पर भारतीय परचम लहरा रहीं थीं, वहीं आज पी वी सिंधु और किदाम्बी श्रीकांत भी अपने शानदार प्रदर्शन से देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। इनके अलावा पुरुषों में एच एस प्रणय, साई प्रणीत, पी कश्यप, अजय जयराम, समीर वर्मा, सौरभ वर्मा, सात्विक सांईराज आदि कई अन्य युवा भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर अपनी पहचान बनाने लगे हैं। महिला बैडमिंटन में जहां पहले डबल्स में ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ही अच्छा प्रदर्शन करती थी, वहीं आज महिला डबल्स में सावित्री और शकुंतला सिक्की जैसी नई खिलाडियों ने भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इन खिलाडियों का प्रदर्शन PBL के कारण भारतीय बैडमिंटन को मिलने वाली सफलताओं पर मुहर लगाता है। भारत में बैडमिंटन को लोकप्रिय बनाने में PBL ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।