विकास कृषण के बारे में सात बातें जो आपको जाननी चाहिए

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भारतीय बॉक्सर विकास कृषण यादव हरियाणा के रहने वाले हैं और इस बार अपने दूसरे ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं। आज रात 2.30 बजे 75kg मिडिलवेट वर्ग में उनका मुकाबला है। इस वर्ग में विजेंदर सिंह पहले ही भारत के लिए ओलंपिक पदक जीत चुके हैं और विकास ने उसी चीज़ से प्रेरणा ली है। आज की लड़ाई से पहले विकास सभी पुरानी बातों को भूलकर अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहते हैं। आइये ऐसे 7 रोचक चीज़ों पर नज़र डालते हैं जो इस बॉक्सर के बारे में आपको जानना चाहिए: # विकास मिडिलवेट वर्ग में खेलते हैं और इसी वर्ग में भारत के विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक्स में कांस्य पदक जीता था। अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग फेडरेशन के रैंकिंग के मुताबिक JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम के एथलीट विकास, फिलहाल अपने भार वर्ग (75kg) में चौथे स्थान पर हैं। # अपने पिता कृष्णन कुमार, जो इलेक्ट्रिसिटी विभाग में काम करते हैं, की तरह विकास भी हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड में काम करते हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की है और अभी दो बेटों के पिता हैं। # 2003 में 10 साल की उम्र में विकास को प्रसिद्ध भिवानी बॉक्सिंग क्लब में दाखिल करवाया गया, इसी क्लब से विजेंदर और अखिल कुमार ने भी ट्रेनिंग ली है। शुरूआती दिनों में यहाँ ट्रेनिंग लेने के बाद यादव फिर पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टिट्यूट में ट्रेनिंग के लिए चले गए। # 2012 के लंदन ओलंपिक्स में JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम के इस बॉक्सर को एक विवादस्पद फैसले के कारण बाहर होना पड़ा। शुरू में उन्हें 13-11 के स्कोर के साथ विजेता घोषित किया गया था लेकिन फिर उन्हें बाहर होना पड़ा। यादव के विरोधी यूएसए के एरल स्पेन्स ने एमेच्यर इंटरनेशनल बॉक्सिंग एसोसिएशन में अपील की और उनका कहना था कि मैच के दौरान रेफरी ने यादव के फ़ाउल पर ध्यान नहीं दिया था। अपील के सफल होने के बाद भारत ने भी अपील की थी जिसे खारिज कर दिया गया। इस केस को फिर कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स में ले जाया गया जहाँ फिर से भारत को निराशा हाथ लगी। # 2012 लंदन ओलंपिक्स में लगी निराशा के बाद विकास ने लगभग एक साल तक खुद को बॉक्सिंग से दूर रखा। 11 साल से बॉक्सिंग का हिस्सा रहे विकास ने इस दौरान अपनी पुलिस ट्रेनिंग पूरी की और साथ ही शादी भी की। "मैं लंदन ओलंपिक्स के बाद काफी निराश था और मुझे लगा कि थोड़ा समय मुझे खेल से दूर रहना चाहिए। ये राहत की बात थी कि मुझे सुबह जल्दी उठकर उस समय ट्रेनिंग के लिए जाने की चिंता भी नहीं थी।" # यादव को लगा कि सही प्रतिद्वंदी न मिलने के कारण उनके फॉर्म में गिरावट आई। उन्होंने फिर अपने से ज्यादा वजन के मुक्केबाजों से मुकाबला शुरू किया। उन्होंने यूएसए में प्रोफेशनल बॉक्सरों के साथ एक महीने तक ट्रेनिंग ली और फिर ये माना कि वहां पर मिली ट्रेनिंग ने ओलंपिक के तैयारियों में उनकी काफी मदद की। # विकास ने दुनिया भर के कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है। AIBA ने भारतीय बॉक्सिंग इकाई, IABF को 2012 में संस्पेंड कर दिया था। इस कारण से विकास ने कई मेडल जर्सी पर बिना भारत लिखे ही जीता है। उसके बाद से उन्होंने विश्व और एशियाई चैंपियनशिप में भी AIBA की तरफ से हिस्सा लिया है।