रियो ओलंपिक में भारतीय बॉक्सिंग दल का विश्लेषण

भारत ने भले ही अब तक रियो ओलंपिक में एक भी मेडल ना जीता हो, लेकिन एथलीटों ने ब्राज़ील में हो रहे खेलों में कुछ स्पर्धाओं में अच्छा प्रदर्शन करके सबका दिल जरूर जीता है। 2008 बीजिंग गेम्स के गोल्ड मेडलिस्ट अभिनव बिंद्रा इस बार भी मैडल के काफी करीब आए, लेकिन 10 मीटर राइफल इवेंट के शूट आउट में वो हार गए और अंत में वह चौथे स्थान पर रहे। जिम्नास्ट दीपा करमाकर ने वॉल्ट फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रचा और ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट भी बनी। भारतीय मुक्केबाज भी कल अपने अभियान की शुरुआत करेंगे, सबसे पहले विकास कृषण रिंग में उतरेंगे। उसके बाद शिव थापा और मनोज कुमार भी एक्शन में नज़र आएंगे। आइये नजर डालते है भारतीय बॉक्सिंग टीम पर और उनके विरोधियों पर : 1- विकास कृषण (75 किलो) vikas 24 वर्षीय विकास कृषण का यह दूसरा ओलंपिक हैं, इससे पहले वो 2010 एशियन गेम्स में गोल्ड मैडल और 2011 वर्ल्ड एमैच्योर बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक के दम पर उन्होंने 2012 में हुए लंदन ओलंपिक में भी हिस्सा लिया था। वहाँ पर उन्होंने पहले मैच में यूएसए के एरोल स्पेंस को 13-11 से हारा दिया था, लेकिन बाद में उनके विरोधी ने फैसले को चैलेंज किया और बाद में फैसले को बदल दिया गया और वो शुरुआती दौर से ही बाहर हो गए। JSW स्पोर्ट्स एक्सिलेंस प्रोग्राम के बॉक्सर ने उसके बाद अपना वर्ग बदला और वो मिडिलवेट वर्ग से खेलने लगे और उन्होंने 2014 एशियन गेम्स में ब्रॉज मैडल और 2015 एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में उनके नाम सिल्वर मैडल जीता। उनकी चुस्ती और फुर्ती उन्हें उनके विरोधी के खिलाफ उन्हें खतरनाक बनाता है। अब रियो में उनका सामना होगा यूएसए के 18 वर्षीय चार्लस कोनवेल जूनियर के साथ, जिन्हें की काफी रेट भी किया जाता है। कृषण उस मैच में कोववेल जोकि अच्छे पंच मारते है, उनके खिलाफ अपने अनुभव का इस्तेमाल करना चाहेंगे। क्वार्टर फ़ाइनल में उनका सामना बेकटेमीर मेलीकूजेव से हो सकता है। 2- शिव थापा (56 किलो) shiva शिव थापा इस समय बैंंटमवेट में वर्ल्ड में तीसरे स्थान पर है, थापा का पहले राउंड में सामना 2012 लंदन ओलंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट क्यूबा के रोबिसे रमिरेज से होगा। शिव थापा 2012 लंदन ओलंपिक में 18 साल की उम्र में ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले सबसे युवा भारतीय बने थे। हालांकि वहाँ वो पहले ही राउंड में बाहर हो गए थे और उनके प्रदर्शन में अनुभव की कमी साफ दिख रही थी, लेकिन इस बार वो पूरी फॉर्म में वहाँ गए है। 22 साल के इस युवा बॉक्सर ने इन 4 सालों में काफी मेहनत की है और अब वो निश्चित ही इंडिया के लिए अच्छा करना चाहेंगे। 3- मनोज कुमार (64 किलो) manoj भारतीय मुक्केबाजों में सबसे ज्यादा अनुभवी मनोज कुमार है, जोकि लंदन ओलंपिक के प्री क्वार्टर फ़ाइनल में पहुँचने में कामयाब रहे थे। वहाँ पर मनोज वर्ल्ड के नंबर 1 बॉक्सर ग्रेट ब्रिटेन के टॉम स्टालकर से हारे थे। वो मुक़ाबला काफी विवादों में रहा था। मनोज ने वो मैच 16-20 के अंतर से गवांया था, जिसमें सेकंड राउंड काफी विवादों में रहा था। उस राउंड में उन्हें 5-9 से पीछे दिखाया था, लेकिन मैच देखकर साफ दिख रहां था कि वो इस राउंड में काफी आगे थे। कुमार इंडिया के सबसे अच्छे बोक्सर्स में से एक हैं और रियो में उनकी रैंकिंग 6 है। 2010 गोल्ड मैडल विजेता का सामना पहले मैच में लंदन ओलंपिक के ब्रॉज मेडलिस्ट लिथुअनिया की इवालदास पेटरुकैस से होगा।

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