भारतीय बॉक्सिंग स्क्वाड के आठ सदस्य जिसमें तीन मुक्केबाज शामिल है, कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए हैं। तुर्की में प्रतियोगिता दौरे पर आए भारतीय बॉक्सिंग स्क्वाड के सदस्यों को इस्तानबुल में क्वारंटीन किया गया है। कॉमनवेल्थ गेम्स के सिल्वर मेडलिस्ट गौरव सोलंकी (57 किग्रा), प्रयाग चौहान (75 किग्रा) और ब्रिजेश यादव (81 किग्रा) एक सप्ताह पहले टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए थे। इसके बाद इन्हें पृथकवास कर दिया गया था जबकि टूर्नामेंट 19 मार्च को समाप्त हुआ था।
टीम के एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, 'कोच धर्मेंद्र यादव और संतोष बिरमोले, फिजियोथेरेपिस्ट शिखा केडिया और डॉ उमेश के साथ वीडियो एनालिस्ट नितिन कुमार और अन्य सदस्य एकांतवास में रखा गया है।' भारतीय बॉक्सिंग दल इस्तानबुल में बोसफोरस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने आए थे। सोलंकी ने इस बीच एकमात्र गोल डालर टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। महिलाओं में निखत जरीन (51 किग्रा) ने भी ब्रॉन्ज मेडल जीता और इस तरह भारत ने कुल दो मेडल जीते।
इस टूर्नामेंट में हिस्सा लेने वाले अन्य मुक्केबाज थे ललित प्रसाद (52 किग्रा), शिव थापा (63 किग्रा), दुर्योधन सिंह नेगी (69 किग्रा), नमन तंवर (91 किग्रा) और कृष्णा शर्मा (+91 किग्रा)। महिलाओं के स्क्वाड में निखत जरीन के अलावा सोनिया लाठेर (57 किग्रा), परवीन (60 किग्रा), ज्योति ग्रेवाल (69 किग्रा) और पूजा सैनी (75 किग्रा) थीं। जो भी लोग कोविड-19 टेस्ट में पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, उन्हें एक सप्ताह तक इंतजार करना पड़ रहा है। वह इस दौरान रिकवर होते हैं और फिर घर लौटने की फ्लाइट पकड़ते हैं।
पिता के विरोध के कारण मुक्केबाज बनी निखत जरीन
भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने कहा कि वह जिंदगी में कई मुश्किलों से उबरकर आई हैं, जिसमें पिता का विरोध शामिल हैं, जिन्होंने कहा था- बॉक्सिंग महिलाओं के लिए नहीं है, जिससे निखत जरीन को कुछ कर दिखाने और अपने पिता को गलत साबित करने की चुनौती मिली। निखत जरीन ने कहा था, 'मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ी और कई मुश्किलों से उबरना पड़ा, जिसमें यह बात शामिल थी कि बॉक्सिंग महिलाओं के लिए नहीं है।'
निखत जरीन ने आगे कहा, 'मैं लोगों को कहना चाहती हूं कि मेरे चेहरे और खूबसूरती को कुछ नहीं हुआ। यह अब भी वैसे ही हैं।' पूर्व विश्व जूनियर बॉक्सिंग चैंपियन ने कहा कि उनके पिता के शब्दों ने उन्हें बॉक्सिंग में करियर बनाने के लिए उकसाया। निखत जरीन ने कहा, 'मैं अब भी अपने दिमाग में मेरे पिता की आवाज महसूस कर सकती हूं, उन्होंने कहा था- बॉक्सिंग महिलाओं के लिए नहीं है, समाज यही सोचता है और यह पुरुषों का खेल है।'