Rio Olympics 2016: मुक्केबाज़ विकास कृषण यादव की ओलंपिक में पहुंचने की कहानी

विकास कृषण यादव ने चार साल पहले ओलंपिक की तैयारी शुरू की थी। जहाँ वह लन्दन ओलंपिक के प्री-क्वार्टरफाइनल में एआईबीए की वजह से जीत से वंचित कर दिए गये थे। यूएसए के एरोल स्पेन्स के खिलाफ हुए मुकाबले के वीडियो फूटेज देखने के बाद उनके खिलाफ चार अंक अमेरिकन को मिले थे। इस मुकाबले को विकास 15-13 से हार गये थे। भारतीय मुक्केबाज़ ने इस मामले को सीएएस के समक्ष पेश किया था, जहां उनके अपील को ख़ारिज कर दिया गया था। हालांकि विकास ने इस मामले से काफी कुछ सीखा। अब वह एक भी मौका नहीं छोड़ते हैं। इस मुक्केबाज़ ने 69 किग्रा भार वर्ग में लन्दन में खेला था। लेकिन इस बार वह 75 किग्रा भारवर्ग में खेलेंगे। 24 साल के हरियाणा के भिवानी जिले के इस मुक्केबाज़ ने 10 साल की उम्र में ही मुक्केबाजी सीखना शुरू कर दिया था। पुणे के आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट से ट्रेनिंग लेने के बाद इस मुक्केबाज़ ने जूनियर और सीनियर स्तर पर कई मैडल जीते हैं। साल 2010 में वह चर्चा में तब आये जब उन्होंने एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीता। उसके बाद सिंगापुर यूथ ओलंपिक खेलों में तीसरा स्थान हासिल किया। इसी के साथ विकास ने अपना अंतर्राष्ट्रीय करियर भी शुरू कर दिया। साल 2011 में बाकू में हुए एआईबीए वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीसरा स्थान हासिल करके, वह लन्दन ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने में सफल रहे। लन्दन ओलंपिक टेस्ट इवेंट में रजत पदक जीतने के समय विकास की उम्र मात्र 19 साल थी। लेकिन ओलंपिक में उनके साथ जो हुआ उसे वह नहीं भूल पाएंगे। इस मुक्केबाज़ ने आशा नहीं छोड़ी और 2 साल बाद 75 किग्रा में लड़ने के लिए खुद को तैयार किया। वह सफल भी हुए। विकास ने एशियन कन्फ़ेडरेशन बॉक्सिंग चैंपियनशिप बैंकाक में रजत पदक जीतने में सफल हुए। साल 2014 में एशियन खेलों में उन्हें कांस्य पदक मिला और दोहा अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में 2015 में भी उन्हें कांस्य मिला। साल 2016 में हुए साउथ एशियन खेलों में विकास ने स्वर्ण पदक जीता। इस साल की शुरुआत से ये मुक्केबाज़ काफी आक्रामक हो गया है। वह विरोधी को बाउट में मौका नहीं देते हैं। ओलंपिक क्वालीफ़ायर में विकास ने कांस्य पदक जीता और रियो का टिकट उन्हें मिला। हालाँकि वह सेमीफाइनल में चोट की वजह से नहीं खेल पाए थे। क्योंकि उन्हें मेडिकली अनफिट पाया गया था। इसके बावजूद विकास रियो में मेडल के लिए आश्वस्त हैं। वह इसे अंतिम मौके की तरह ले रहे हैं। यादव ने हाल ही में कहा था, “लन्दन ओलंपिक के लिए मैं 8 महीने पहले ही क्वालीफाई कर गया था। इसलिए मुझे काफी समय मिल गया था। लेकिन इस बार दुर्भाग्यवश मैं वर्ल्ड चैंपियनशिप में ऐसा करने में असफल रहा, जिसका दबाव है। लेकिन मैं अपनी पूरी तैयारी में लगा हूँ। मुझे आराम नहीं करना है।” विकास से हम सभी को पदक की आशा है, वह देश के लिए रियो में 9 अगस्त को भिड़ेंगे।

Edited by Staff Editor
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