विजेंद्र सिंह जिनका पूरा नाम विजेंद्र सिंह बेनीवाल है वो भारतीय पेशेवर मुक्केबाज हैं और मौजूदा WBO एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट चैंपियन और WBO ओरिएण्टल मिडिलवेट चैंपियन हैं।
विजेंद्र सिंह का जन्म
विजेंद्र सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ। विजेंद्र के पिता महिपाल सिंह बेनीवाल हरियाणा रोडवेज़ में बस ड्राइवर हैं और उनकी माँ एक गृहणी हैं।
शुरुआती पढ़ाई और खेल
विजेंद्र सिंह ने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव कालूवास से की और सेकेंडरी शिक्षा के लिए जिला भिवानी के स्कूल में दाखिला लिया और फिर आगे अपनी बैचलर डिग्री पूरी की। साल 1990 में एक मुक्केबाज राज कुमार सांगवान ने अर्जुन अवार्ड जीता जिसे देखकर विजेंदर और उनके भाई, मनोज ने निश्चित किया कि वे मुक्केबाजी सीखेंगे। विजेंदर की मुक्केबाजी में रूचि होने के कारण उन्होंने अपने पढ़ाई को जारी नही रखा और अपने करियर में मुक्केबाजी को जगह दे दी। वे इसमें माहिर होते चले गए।
विजेंदर “भिवानी मुक्केबाजी क्लब” में अभ्यास किया करते थे, वहाँ राष्ट्रीय लेवल के मुक्केबाज जगदीश सिंह ने विजेंदर की प्रतिभा को समझा और उसे अधिक समय तक मुक्केबाजी सीखाने लगे। विजेंदर को वहां स्टेट लेवल पर खेलने का मौका मिला जिसका उन्होंने भरपूर फायदा उठाया और सभी की उम्मीदों पर खरे उतरें। साल 2000 के नेशनल्स में उन्होंने अपना पहला स्वर्ण पदक जीता। इसी के चलते सन 2003 में विजेंदर पुरे भारत में मुक्केबाज चैंपियन बन गए। सन 2003 में “एफ्रो एशियाई गेम्स” में एक नया मोड़ आया। एक जूनियर मुक्केबाज होने के बावजूद भी विजेंदर ने ट्रायल चयन में भाग लिया और वे चुन लिए गए, वहाँ वे रजत पदक जीतने के लिए बहुत ही बहादुरी से लड़े। इस तरह विजेंदर के करियर की शुरुआत हुई।
अंतराष्ट्रीय करियर
साल 2003 तक राष्ट्रीय स्तर तक खेलने के बाद साल 2004 से विजेंद्र सिंह अंतराष्ट्रीय स्तर तक खेलने लगे।
2004
साल 2004 में विजेंदर ने “एथेंस ग्रीष्मकालीन ओलंपिक” में वर्ग, वेल्टरवेट संभाग में भाग लिया, लेकिन विजेंदर तुर्की के ‘मुस्तफा करागोल्ला’ से 20-25 के स्कोर से हार गए।
2006
साल 2006 में विजेंदर ने “कॉमनवेल्थ गेम्स” में भाग लिया और वे सेमीफाइनल जीत भी गए, लेकिन फाइनल में हारने के कारण उनको कांस्य पदक मिला। फिर उन्होंने निश्चित किया कि वे अपने वेट का स्थान बदलेंगे। सन 2006 में ही हुए “एशियाई गेम्स” में विजेंदर अपने मिडिलवेट के साथ सामने आये और उन्होंने यहाँ भी कांस्य पदक जीता। विजेंदर कुछ चोटों से भी ग्रस्त हुए, लेकिन वे कुछ समय बाद ठीक होकर 2008 में होने वाले ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया।
2008
सन 2008 में होने वाले “बीजिंग ओलंपिक” के लिए विजेंदर तैयारी के लिए जर्मनी गए। इस बड़ी प्रतिस्पर्धा से पहले उन्होंने “प्रेसिडेंट कप टूर्नामेंट” में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद “बेइजिंग ओलंपिक” में विजेंदर ने मिडिलवेट वर्ग में भाग लिया और वहाँ उन्होंने कांस्य पदक जीता। यहाँ वे भारत के पहले मुक्केबाज थे, जिन्होंने भारत के लिए पहला पदक जीता।
2009
अगले साल 2009 में “बीजिंग ओलंपिक” के बाद विजेंदर ने “विश्व अमेच्योर मुक्केबाजी चैंपियनशिप” में एक और कांस्य पदक जीता। कुछ समय बाद इसी साल “अन्तराष्ट्रीय मुक्केबाजी संस्था मिडिलवेट रैंकिंग” में विजेंदर का नाम भी शामिल हो गया। उस साल ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के लिए उन्हें “राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड" से भी नवाजा गया और “पद्मश्री अवार्ड” के लिए भी इनका नाम दिया गया किन्तु इस साल उन्हें यह अवार्ड नही मिला।
2010
साल 2010 में दिल्ली में हुए “कॉमनवेल्थ मुक्केबाजी चैंपियनशिप” में विजेंदर ने स्वर्ण पदक जीता। उसी साल दिल्ली में हुए “कॉमनवेल्थ गेम्स” में कुछ विवादास्पद परिस्थिति हुई जहां विजेंद्र पर 4 अंको का जुर्माना लगाया गया और इस वजह से उनकी हार हुई और उन्हें वहां कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। हालांकि “एशियाई गेम्स” में विजेंदर ने मिडिलवेट वर्ग में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
2011
साल 2011 में विजेंदर को एक फ़िल्म करने का अवसर मिला, जोकि दक्षिण के निर्माता आनंद द्वारा बनाई जा रही थी, फ़िल्म का नाम “पटियाला एक्सप्रेस” था. उसकी शूटिंग सन 2011 में लगभग शुरू होने वाली थी. इसी साल 17 मई को विजेंदर ने अर्चना सिंह के साथ शादी की, जो दिल्ली में MBA के साथ सॉफ्टवेयर इंजिनियर है। उनकी शादी बहुत ही साधारण तरीके से हुई और शादी का स्वागत समारोह भिवानी में किया गया। इसी दौरान उनकी फ़िल्म का काम रुक गया और फ़िल्म बंद हो गई। इसके पश्चात वे बॉलीवुड में सन 2011 में ही गोविंदा की बेटी के साथ एक फ़िल्म में काम करने वाले थे, किन्तु फिर विजेंदर ने फैसला किया कि वे अपने मुक्केबाजी करियर में ही ध्यान देंगे और कुछ समय बाद फ़िल्म करेंगे।
2012
इसके बाद 2012 में हुए “लन्दन ओलंपिक” में विजेंदर क्वालीफाई हुए। किन्तु वे क्वार्टर फाइनल में पहुँचने के बाद हार गए और कोई भी पदक उनके हाथ ना लग सका।
2014
सन 2014 में विजेंदर ने स्कॉटलैंड, ग्लासगो में हुए “कॉमनवेल्थ गेम्स” में भाग लिया और इसमें उन्होंने रजत पदक जीता।
पेशेवर मुक्केबाजी
विजेंद्र सिंह ने IOS स्पोर्ट्स एंड एंटरटेनमेंट के ज़रिए फ्रैंक वारेन की क्वीन्सबेरी प्रमोशन के साथ प्रोफेशनल रैसलिंग में कदम रखा और मल्टी-ईयर कॉन्ट्रैक्ट साइन किया। 10 अक्टूबर 2015 को सोनि व्हिटिंग के खिलाफ सिंह ने अपनी पहली प्रोफेशनल बॉक्सिंग फाइट लड़ी और TKO से उसमें जीत दर्ज की। विजेंद्र सिंह प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 10 मुकाबले लड़ चुके हैं और सभी मे उन्होंने जीत दर्ज की है। 7 मुकाबलों में उन्होंने नॉकआउट से जीत दर्ज की तो वहीं 3 मुकाबलों में निर्णय उनके पक्ष में रहे।