3 times a captain declare innings when batter near to complete double century: टेस्ट फॉर्मेट में बल्लेबाजों के लिए शतक और दोहरे शतक की अहमियत काफी ज्यादा होती है। कई बल्लेबाज शतक तो आसानी से पूरा करने में कामयाब हो जाते हैं लेकिन इसे डबल सेंचुरी में आसानी से नहीं तब्दील कर पाते। इसके पीछे, कई बार बल्लेबाज का आउट हो जाना या फिर कप्तान का पारी घोषित कर देना भी एक अहम कारण होता है। कुछ ऐसा ही नजारा हमें पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच रावलपिंडी में खेले जा रहे पहले टेस्ट में देखने को मिला।
पाकिस्तान के मोहम्मद रिजवान के दोहरे शतक के करीब होने के बावजूद कप्तान शान मसूद ने पारी घोषित कर दी। उनके इस फैसले पर काफी सवाल भी उठ रहे हैं। हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब किसी कप्तान ने अपने बल्लेबाज के साथ ऐसा किया हो। इस आर्टिकल में हम ऐसे ही 3 बल्लेबाजों का जिक्र करने जा रहे हैं, जब कप्तान के पारी घोषित करने के कारण वे दोहरा शतक नहीं पूरा कर पाए।
3. मोहम्मद रिजवान (171*)
21 अगस्त से रावलपिंडी में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज के पहले मुकाबले की शुरुआत हुई। इस मैच में बांग्लादेश ने शुरुआत में अच्छी गेंदबाजी करते हुए पाकिस्तान के टॉप ऑर्डर को सस्ते में निपटाने का काम किया था लेकिन फिर मोहम्मद रिजवान ने उपकप्तान सऊद शकील के साथ मोर्चा संभाला और बेहतरीन शतकीय पारी खेली। ऐसा लग रहा था कि रिजवान आसानी से दोहरा शतक पूरा कर लेंगे लेकिन तभी शान मसूद ने 448/6 के स्कोर पर पारी घोषित कर दी। इस तरह रिजवान 239 गेंद पर 176 रन बनाकर नाबाद रहे।
2. रवींद्र जडेजा (175*)
इस लिस्ट में टीम इंडिया के ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा का नाम भी शामिल है। जडेजा ने साल 2022 में श्रीलंका के खिलाफ मोहाली टेस्ट में जबरदस्त बल्लेबाजी की थी और अपने इंटरनेशनल करियर का पहला दोहरा शतक बनाने के करीब थे। हालांकि, कप्तान रोहित शर्मा ने ऐसा नहीं होने दिया और उन्होंने पारी घोषित कर दी। रोहित के इस फैसले के कारण जडेजा 228 गेंद पर 175 रन बनाकर नाबाद रहे।
1. सचिन तेंदुलकर (194*)
साल 2004 में पाकिस्तान और भारत के बीच मुल्तान में खेला गया टेस्ट मुकाबला वीरेंद्र सहवाग के पहले तिहरे शतक के लिए याद किया जाता है लेकिन इस मुकाबले की सचिन तेंदुलकर के दोहरे शतक से चूकने को लेकर भी चर्चा की जाती है। तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ ने 675/5 के स्कोर पर टीम इंडिया की पारी घोषित कर दी थी और उस समय सचिन तेंदुलकर 194 रन पर नाबाद थे। द्रविड़ के उस फैसले की चर्चा आज भी होती है और सचिन के फैंस इसके लिए उनकी आलोचना भी करते हैं।